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ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

बगलामुखी साधना

::::::::::::::::::बगलामुखी [ब्रह्मास्त्र विद्या ]महासाधना और प्रभाव :::::::::::::::::::::

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……………….महाविद्या श्री बगलामुखी दश महाविद्या के अंतर्गत श्री कुल की महाविद्या है ,जिनकी पूजा साधना से सर्वाभीष्ट की प्राप्ति होती है ,,ग्रह दोष ,शत्रु बाधा ,रोग-शोक-दुष्ट प्रभाव ,वायव्य बाधा से मुक्ति मिलती है ,सर्वत्र विजय ,सम्मान ,ऐश्वर्य प्राप्त होता है ,वाद-विवाद ,मुकदमे में विजय मिलती है ,अधिकारी वर्ग वशीभूत होता है ,सामने वाले का वाक् स्तम्भन होता है और साधक को वाक् सिद्धि प्राप्त होती है ,,इनकी साधना से लौकिक और अलौकिक फलो की प्राप्ति होती है ,,

………..महाविद्या श्री बगलामुखी की साधना दक्शिनाम्नाय अथवा उर्ध्वाम्नाय से होती है ,,दक्सिनाम्नाय में इनकी दो भुजाये मानी जाती है और मंत्र में ह्ल्रिम बीज का प्रयोग होता है ,,उर्ध्वाम्नाय में इनकी चार भुजाये मानी जाती है और इनका स्वरुप ब्रह्मास्त्र स्वरूपिणी बगला का हो जाता है ,इस स्वरुप में ह्रीं बीज का प्रयोग होता है ,,.

………बगलामुखी साधना में इनके मंत्र का सवा लाख जप ,दशांश हवन ,तर्पण ,मार्जन ,ब्राह्मण भोजन का विधान है इनकी साधना में सभी वस्तुए पीली ही उपयोग में लाने का विधान है यथा पीले फुल ,फल ,वस्त्र ,मिष्ठान्न आदि ,जप हल्दी की माला पर किया जाता है ,,.

……..साधना के प्रारंभ के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त कृष्ण चतुर्दशी और मंगलवार का संयोग होता है ,,किन्तु कृष्ण चतुर्दशी ,नवरात्र ,चतुर्थी ,नवमी [शनि-मंगल-भद्रा योग ]अथवा किसी शुभ मुहूर्त में साधना प्रारंभ की जा सकती है ,,अपने सामर्थ्य के अनुसार १५,२१,अथवा ४१ दिन में साधना पूर्ण की जा सकती है ,मंत्र संख्या प्रतिदिन बराबर होनी चाहिए ,साधना में शुचिता ,शुद्धता ,ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है ,.

…..ब्रह्मास्त्र स्वरूपिणी बगला का पूर्ण मंत्र “”ओउम ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्ट|नाम वाचं मुखम पदम स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओउम स्वाहा “”होता है ..

……जिस दिन साधना प्रारंभ करे सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त हो आचमन-प्राणायाम -पवित्री करण के बाद बगलामुखी देवी का चित्र स्थापित करे ,एक २ फीट लंबे-चौड़े लकड़ी के तख्ते या चौकी पर पीला कपडा बिछाकर उस पर रंगे हुए पीले चावलों से बगलामुखी यन्त्र बनाए |बगलामुखी यन्त्र के सामने पीले गंधक की सात ढेरिया बनाकर प्रत्येक पर दो दो लौंग रखे ,,अब गणेश-गौरी,नवग्रह,कलश,अर्ध्यपात्र स्थापित करे ,,शान्ति पाठ, संकल्प के बाद एक अखंड दीप [जो संकल्पित दिनों तक जलता रहेगा ]देवी के सामने रखे ,चौकी पर बने यन्त्र के सामने ताम्र-स्वर्ण या रजत पत्र पर बना बगलामुखी यंत्र स्थापित करे ,,अब भोजपत्र पर अपनी आवश्यकतानुसार अष्टगंध से कनेर की कलम से बगला यंत्र बनाकर चौकी पर रखे ,इसके बाद न्यासादीकर गुरु यंत्र , कलश,नवग्रह ,देवी पूजन ,यंत्रो की प्राण प्रतिष्ठा ,यंत्र पूजन ,आदि करे ,,इस प्रक्रिया में किसी जानकार की मदद ले सकते है किन्तु जप आप स्वयं करेगे ,,,पूजनोपरांत जप हल्दी की माला पर निश्चित संख्या में निश्चित दिनों तक होगा ,प्रतिदिन के पूजन में आप पंचोपचार या दशोपचार पूजन अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर सकते है ,,प्रतिदिन जप के बाद दशांश जप महामृत्युंजय का करे ,जप रात्री में करे ,प्रथम दिन पूजन षोडशोपचार करे ,,निश्चित दिनों और संख्या तक जप होने पर हवंन प्रक्रिया पूर्ण करे ,हवन के बाद तर्पण-मार्जा-ब्राह्मण भोजन या दान करे,धातु यन्त्र को पूजा स्थान पर स्थापित कर भोजपत्र यंत्र को ताबीज में भर ले ,,अब साधना में त्रुटी के लिए क्षमा माँगते हुए विसर्जन करे ..अब आपकी साधना पूर्ण होती है ,,,कलाशादी को हटाकर शेष सामग्री बहते जल में प्रवाहित कर दे ,,..

…..अतिरिक्त भोजपत्र यंत्रो को ताबीज में भरकर आप जिसे भी प्रदान करेगे उसे बगला कृपा प्राप्त होगी ,उसके काम बनने लगेगे ,विजय -सफलता बढ़ जायेगी ,ग्रह दोष -दुष्प्रभाव समाप्त होगे ,,वायव्य बाधा से मुक्ति,मुकदमे में विजय,शत्रु-विरोधी की पराजय ,अधिकारी वर्ग का समर्थन ,विरोधी का वाक् स्तम्भन होगा ,ऐश्वर्य वृद्धि होगी ,सभी दोष समाप्त हो सुखी होगा, उसका कल्याण होगा ,,आपको उपरोक्त परिणाम स्वयमेव प्राप्त होगे ,,,,,,आप भविष्य में किसी शुभ मुहूर्त में बगला यंत्र भोजपत्र पर बनाकर पूजन कर २१०० जपादि कर ताबीज में भर जिसे भी प्रदान करेगे ,देवी कृपा उसको उपरोक्त फल प्राप्त होगे ,उसका कल्याण होगा ,,………………………………………………….[यह समस्त प्रक्रिया स्वानुभूत है ,और स्वयं द्वारा पूर्ण की हुई है ,कही से कापी-पेस्ट नहीं की गयी है ,साधना में योग्य व्यक्ति का मार्गदर्शन और पूजनादि हेतु अच्छी पुस्तक की मदद ली जानी चाहिए , ][सिद्ध बगलामुखी यन्त्र के लिए हमसे संपर्क किया जा सकता है मेसेज बॉक्स में ]………………………………………………………………………………………………..हर-हर महादेव


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