:::::::::हनुमान साधना ::::::::
=====================
हनुमान की अवधारणा या उत्पत्ति त्रेता में भगवान् राम के समय में मानी जाती है और इन्हें परम सात्विक देवता माना जाता है |इन्हें सामान्यतया वैदिक देवताओं में सम्मिलित किया जाता है यद्यपि इन्हें रुद्रावतार भी माना जाता है और शिव से सम्बद्ध भी माना जाता है | हनुमान जी की साधना से बल ,धैर्य ,पराक्रम की प्राप्ति होती है |शत्रुओं का शमन होता है |संकटों से मुक्ति मिलती है ,कार्यसिद्धि होती है ,मनोकामना सिद्धि और रोगनाश होता है |
हनुमान जी की पूजा बहुत से लोग करते हैं और यह ऐसे देवता है जिनकी पूजा सबसे अधिक की जाती है |देवताओं में इनके मंदिर शिव मंदिर के बाद सबसे अधिक पाए जाते हैं |मंदिर से अधिक इनकी पूजा लोग घरों में करते हैं |कोई हनुमान चालीसा पढता है तो कोई बजरंग बाण पढता है |कोई हनुमान बाहुक पढता है तो कोई सुन्दरकाण्ड का पाठ करता है |अधिकतर लोग इन सभी पूजा -पाठ से इनका गुणगान कर इनकी कृपा प्राप्ति की भावना करते हैं |लोगों को लाभ भी होता है किन्तु जब गंभीर समस्याएं और संकट हों तो मात्र इन पाठों से पूर्ण लाभ नहीं मिलता या बहुत अधिक समय लगता है |लोग तंत्र के नाम से ही डरते हैं जबकि यदि तंत्र सूत्र के अनुसार किसी भी देवी -देवता की उपासना साधना की जाय तो बहुत अधिक लाभ मिल जाता है |हम इस पोस्ट में हनुमान की तांत्रिक साधना प्रस्तुत कर रहे हैं आप खुद देखें की यह कितना सरल और आडम्बर विहीन है |कोई भी इसे कर सकता है तथा इसमें ऐसा कुछ भी नहीं जो डरने योग्य हो |तंत्र प्रकृति के उर्जा सूत्रों को पकड़कर चलने वाली पद्धति है जिसमे मूल सूत्र को पकड़ साधना होती है तथा जिसमे आडम्बर और लम्बे चौड़े कर्मकांड की आवश्यकता नहीं होती |यह पद्धति पूजा की विस्तारता की बजाय उर्जा के नियंत्रण पर अधिक ध्यान देती है और खुद को इस योग्य बनाती है की सम्बन्धित शक्ति व्यक्ति से जुड़ सके |
आपको विभिन्न पाठों से लाभ मिले न मिले पर इस साधना से आपको निश्चित लाभ मिलेगा और आपको हनुमान की सिद्धि मिलती है |हनुमान की शक्ति और ऊर्जा आपसे जुडती है इस साधना से जो आपको सदैव सहायक रहती है आपका उद्देश्य भले बदलता रहे |आप जीवन में असफल नहीं होते और सभी प्रकार के संकटों -दुखों से बचते हुए आप एक सफल -सुखी जीवन जीते हैं |यहाँ बस इतनी ही जरूरत होती है की आपको दो ही चीजें दुसरे से लेनी होती हैं ,एक तो हनुमान का मंत्र और दूसरा सुरक्षा कवच या ताबीज |चूंकि साधना बहुत तीव्र प्रभावी है और इससे नकारात्मक शक्तियों को भी कष्ट होता है साथ ही आपकी भी उर्जा इस स्तर की होनी चाहिए की आपका सामंजस्य हनुमान की शक्ति से बन सके अतः |सुरक्षा ताबीज आवश्यक होता है |मंत्र किसी योग्य व्यक्ति से लेना इसलिए आवश्यक होता है की मंत्र जाग्रत हो |किताबों से लिया मंत्र जाग्रत नहीं होता अतः किसी योग्य से लिया जाना चाहिए |अब हम आपको साधना पद्धति समझाते हैं |
सामग्री :–लाल वस्त्र ,लाल आसन उनी, लाल सिन्दूर ,लाल पुष्प ,लड्डू आदि
मन्त्र :– ॐ पूर्व कपि मुखाय पंचमुख हनुमते ,टं टं टं टं टं सकल शत्रु सन्हार्णाय स्वाहा |
अथवा इस मंत्र की जगह आप कोई भी हनुमान मंत्र ले सकते हैं जिसमे बीज मन्त्र जरुर से जुड़ा हो जिससे नाद उत्पन्न हो |हनुमान के सभी बीजों का नाद आपके ह्रदय में गुंजित होता है जिससे आपके चक्रों पर प्रभाव पड़ता है और आपकी आतंरिक उर्जा से वाह्य उर्जा का जुड़ाव होता है |
विधि :– संध्या से पूर्व ही ९ हाथ लम्बा ९ हाथ चौड़ा जमीन को साफ़ करके उसे गोबर-मिटटी के मिश्रण से लीप पोतकर साफ़ कर लें |आपके पास जमीन की उपलब्धता न हो तो आप किसी कमरे को साफ़ करके उपयोग कर सकते हैं किन्तु कमरा कम से कम ९ फुट लम्बा और ९ फुट चौड़ा जरुर हो |सामान्यतया ९ हाथ की लम्बाई चौड़ाई ली जाती है किन्तु अनुपलब्धता पर ० फुट की लम्बाई चौड़ाई से काम चल जाता है |इसके चारो और सिन्दूर -कपूर और लौंग के मिश्रण को मिलाकर एक सुरक्षात्मक घेरा बना लें ९ हाथ या ९ फुट की लम्बाई चौड़ाई में |इस जमीन या फर्श के ईशान कोण में अर्थात पूर्व और उत्तर के कोने वाले स्थान पर तीन हाथ लम्बी और तीन हाथ चौड़ी जमींन पर अपना स्थान स्थापित करें अथवा 3 फुट चौड़े लम्बे हिस्से में साधना स्थल बनाएं |यह हिसा पूरे कमरे का नवां हिसा होगा |जिसके ईशान में सवाहाथ या सवा फुट की पीठिका बनायें या आम की लकड़ी का चौकी स्थापित करें |इस पर लाल रंग का कपड़ा बिछा होगा |जिस पर मूर्ती या चित्र स्थापित होगा |यह स्थान एकांत का हो |यदि घर में साधना कर रहे हैं तो सामान्यतया १५ फुट लम्बे चौड़े कमरे के ईशान में स्थान बनाएं नियम तो यही है किन्तु ९ फुट से भी काम चल सकता है चूंकि आज के समय में स्थान कम होते हैं ||कमरे में हवा और प्राकृतिक प्रकाश की समुचित सुविधा हो |अब भूमि के चारो और सुरक्षा घेरे पर जौ के आटे या चावल ,सिन्दूर ,तुलसी ,जल को मंत्र पढ़ते हुए छिडके |
ईशान कोण में पीठिका पर नैरित्य की और मुख किये हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए |प्रतिमा उपलब्ध न हो तो चित्र लगाएं |विधिवत हनुमान जी की पूजा करें और ईशान की और मुह करके त्राटक में हनुमान जी का ध्यान लगाएं |उपर्युक्त मंत्र का जप अथवा जो भी मंत्र आपने लिया है उसका प्रतिदिन ११८८ बार धीमी गति से धीमे स्वरों में [उपांशु ]पूर्ण नाद के साथ जप करें |ध्यान हनुमान जी पर पूरी तरह एकाग्र रहे |सामान्यतया यह मंत्र १०८ दिन में सिद्ध होता है ,परन्तु क्षमता और एकाग्रता के अनुसार समय कम अधिक भी लग सकता है |जब त्राटक में ध्यान लगाते ही हनुमान जी का तेजोमय सजीव प्रत्यक्षीकरण होने लगे ,तब इस मंत्र को सिद्ध समझना चाहिए |किन्तु इसके बाद भी अभ्यास करते रहना चाहिए |
यह एक सामान्य सी लगने वाली किन्तु तंत्र सूत्रों पर आधारित साधना है जिसमें आपकी एकाग्रता ,दिशा ,स्थान ,मंत्र का नाद मिलकर हनुमान की शक्ति को आकर्षित करते हैं और उसे आपसे जोड़ते हैं |……………………………………………………………..हर-हर महादेव
Leave a Reply