डिप्रेशन [Depression] के प्रकार
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डिप्रेसन /अवसाद अथवा मानसिक दबाव कई तरह का होता है |कुछ गंभीर तो कुछ कम गंभीर |कुछ के प्रभाव दीर्घकालिक होते हैं तो कुछ के अल्पकालिक |
मेजर डिप्रेशन
—————-जब भी किसी का साथ अचानक छुट जाता है, तो आप इसे इमोशनल डिसऑर्डर कह सकते हैं। जब भी आप मेजर डिप्रेशन में होते हो, तो आप खुदकुशी की हद तक जा सकते हो।यूनिपोलर या मेजर डिप्रेशन तब माना जाता है जब आपमें अवसाद के पांच या अधिक लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे में कार्य करने, सोने, अध्ययन करने, खाने और सामान्य अनुभव की क्षमताएं बाधित या कम हो जाती हैं।
टिपिकल डिप्रेशन
——————-यह ऐसा डिप्रेशन होता है जिसमे इन्सान अपनी ख़ुशी या गम को किसी के साथ शेयर नहीं करता।
साइकाटिक डिप्रेशन
———————-यह ऐसी हालत होती है जिसमे रोगी को अनजान आवाजें सुनाई देती है, साथ ही काल्पनिक चीजों में उसे यकीन होने लगता है, उसे शक करने की बीमारी हो जाती है और वह खुद से ही बाते करने लगता है।घबरायें नहीं यदि आप गंभीर अवसाद के साथ किसी प्रकार की साइकोसिस जैसे कि डिल्यूजन (झूठे विश्वास), हैलुसिनेशन (ऐसी चीज़ें देखना या सुनना जो वास्तव में न हों), या पैरानोइया (यह गलतफहमी कि अन्य लोग आपको नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं) का अनुभव कर रहे हैं। यह समय के साथ तथा सही उपचार द्वारा पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
डिस्थायमिया
—————जिन्दगी तो समान्य चल रही होती है, लेकिन वो अक्सर उदास रहते हैं वह अपनी लाइफ को इंजॉय नहीं करते। यह उदासी लगातार एक वर्ष से चली आ रही है तो इसे डिस्थायमिया कहते हैं।यह लक्षण कम से कम दो साल तक रहता है जिस दौरान आप अवसाद के गंभीर दौरों से प्रभावित होते हैं तथा इसके साथ ही अवसाद के कम से कम दो अन्य लक्षणों से भी पीड़ित होते हैं।अवसाद का यह स्थायी स्वरूप जो कि डिस्थाइमिया या मनस्ताप भी कहलाता है, आपकी कार्य करने की क्षमता को बाधित करता है।
पोस्टपॉर्टम
————-जब भी महिलाओं की डिलीवरी होती है, तो कई बार महिला डिप्रेशन में चली जाती है। ऐसे डिप्रेशन को हम पोस्टपॉर्टम डिप्रेशन कह सकते हैं |यह प्रायः महिलाओं द्वारा बच्चे को जन्म देने के बाद अनुभव किया जाता है, इस प्रकार का अवसाद सामान्य ‘बेबी ब्ल्यूज‘ से भिन्न होता है। हार्मोन तथा बड़े बड़े शारीरिक बदलाव और शिशु की जिम्मेदारी, कुछ माताओं को भार महसूस बहुत हो सकती है(?)। लगभग 10-15% महिलाएं प्रसव के बाद अवसाद का अनुभव करती हैं।
मेनिया
——— ऐसा हम चाहते है वैसा न हो तो ऐसे में अक्सर मायूसी आ जाती है। इसमें व्यक्ति की भावनाओं तथा संवेग में कुछ समय के लिए असामान्य परिवर्तन आ जाते है, जिनका प्रभाव उसके व्यवहार, सोच और निद्रा पर पड़ता है।
उपचार प्रतिरोधी अवसाद (ट्रीटमेंट रेसिस्टेंट डिप्रेशन)
—————————————————————यह स्थायी या पुराना हो सकता है और इसमें अवसाद निवारक दवाएं काम नहीं करतीं। समस्या की प्रकृति और गंभीरता के अनुसार ऐसे में प्रायः इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेपेरी (ईसीटी) का प्रयोग किया जाता है।
मैनिक डिप्रेसिव डिसआर्डर
——————————-बाइपोलर अवसाद में उन्माद का स्तर घटता बढ़ता रहता हैं। इसके लक्षण हैं – अत्यधिक आत्म–सम्मान बोध, अनिद्रा, ज्यादा बोलना, तेजी से विचारों का आना , ध्यान भटकना, लक्ष्य–आधारित गतिविधि में वृद्धि या शारीरिक उत्तेजना और पीड़ादायक कामों से जुड़ना।
अप्रधान (सेकेंड्री) अवसाद
——————————क्या आप हाइपोथायराइडिज्म, स्ट्रोक, पार्किन्सन रोग, एड्स या किसी मनोवैज्ञानिक समस्या जैसे कि स्कित्ज़ोफ्रेनिया, संत्रास या बुलीमिया से पीड़ित हैं या रहे हैं? इन बीमारियों के दौरान अनुभव किए गए भावनात्मक और शारीरिक कष्टों की वजह से आप में अवसाद के लक्षण पनप सकते हैं ।……….[ अगला अंक –
डिप्रेसन के लक्षण ]……………………………….हर हर महादेव
डिप्रेसन के लक्षण ]……………………………….हर हर महादेव
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