तुलसी के प्रयोगों से जीवन कैसे सुखी बनाएं ?
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तुलसी -सकारात्मक उर्जा की अद्भुत स्रोत
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तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म और मान्यता में अति पवित्र माना जाता है प्राचीन काल से तुलसी की पूजा होती आई है ,क्यों, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा बढाने वाली और नकारात्मक ऊर्जा हटाने वाली हैं |हिन्दू धर्म की प्रत्येक मान्यता के पीछे गंभीर वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं ,इन्हें धर्म से जोड़ने का मुख्य कारण इनका संरक्षण और लाभ प्राप्त करना है ,कम लोगों को पता होता है की वृक्ष या पौधा व्यक्ति के मनोभावों को ग्रहण कर उसे वातावरण में प्रक्षेपित कर देते हैं अपनी तरंगों के साथ ,साथ ही कई गुना अधिक विस्तार के साथ |इस प्रकार उनके सामने की गई पूजा और व्यक्त मनोकामना अधिक शक्ति से वातावरण में प्रक्षेपित हो जाती है और सम्बंधित ईष्ट द्वारा प्राप्त की जाती है ,एक फायदा तुलसी के साथ यह होता है ,इसके साथ ही इनमे नकारात्मक ऊर्जा ,हानिकारक बैक्टीरिया -वाइरस को हटाने या नष्ट करने की भी क्षमता होती है |घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ते ही तुलसी पर प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है और सबसे पहले तुलसी का पौध सूखने लगता है चाहे आप कितना ही उसका ध्यान रखें |अगर संकेत पर ध्यान दिया जाए तो आने वाली मुसीबत का संकेत दे देता है |
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता।वैज्ञानिक कारणों को देखें तो स्थिति बिगड़ना सकारात्मक ऊर्जा की कमी और नकारात्मक उर्जा की वृद्धि के कारण होता है ,फिर चाहे यह नकारात्मकता ग्रहों द्वारा अथवा नकारात्मक शक्तियों द्वारा अथवा वायव्य बाधाओं द्वारा अथवा व्यक्ति के कर्मो द्वारा उत्पन्न हो रही हो |
तुलसी नकारात्मक ऊर्जा कम करती या हटाती ही है यह वास्तु दोष दूर करने में भी सहायक है ,क्योकि दोष से उत्पन्न नकारात्मकता को भी कम करती है |यह ऐसा पौधा है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आता है |यह अपने आप में एक पूर्ण वैद्य है और इनके पट्टी से लेकर जड़ तक हर अंग के उपयोग हैं |इनके गुण हमें निरोग -स्वस्थ-दीर्घायु-संमृद्ध-सुखी रखने में सहायक हैं |यही कारण है की हमारे पूर्वजो में इन्हें माँ और देवी का दर्जा दिया है और पूजनीय माना है |
आधुनिक रसायन शास्त्र भी इनके गुणों को मान्यता देता है |यह कीट नाशक,कीट प्रतिकारक तथा बैक्टीरिया समाप्त करता है |यह मच्छरों को दूर रखता है |टी.बी.के जीवाणु का बढना रोक देता है |यह कई अन्य बैक्टीरिया पर भी बहुत प्रभावी होता है ,|इसका तेल अथवा रस न्युमोनिया -खाज-खुजली -ठण्ड में लाभदायक होता है|इसके बीजो में रक्त प्रवाह बनाये रखने की क्षमता होती है जिससे ह्रदय रोगियों को लाभ होता है ,यह मधुमेह रोग की रोकथाम करता है |इसमें गर्भ निरोधक गुण तथा रोग और ज्वर नाशक गुण भी होता है |सर्दी-जुकाम-खांसी ,कफ-श्वास के रोग, प्रतिश्याय ,रक्त की कमी दन्त रोग ,पीलिया रोगों में यह बहुत लाभदायक है|इसमें तपेदिक ,मलेरिया ,व् प्लेग के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता है|यह शरीर में विषाक्त प्रभाव समाप्त करने में सहायक है |यह प्राकृतिक रक्त शोधक है ,अपने आसपास बैक्टीरिया या हानिकारक प्रभाव पनपने नहीं देती |वातावरण शुद्ध करती है और पर्यावरण संतुलन बनाती है | |इनका स्पर्श और आसपास की हवा तक दीर्घायु-स्वास्थय और शुद्ध वातावरण देने में सक्षम है |तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे होते है जैसे कृष्ण तुलसी ,श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी ,वन तुलसी ,आदि आदि |प्रकार की तरह ही इनके गुणों में भी भिन्नता होती है ,किन्तु नकारात्मकता सभी हटाती हैं ,|
तुलसी के तंत्रिकीय और औषधीय उपयोग
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[१] तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से शीघ्र वीर्य पतन अथवा वीर्य की कमी की समस्या दूर होती है |
[२] तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
[३] मासिक धर्म में अनियमियता:: जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है
[४] तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है
[५] प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह,रक्त विकार ,वाट-पित्त दोष आदि दूर होते हैं |
[६] तुलसी के समीप आसन लगाकर कुछ दिन बैठने से श्वास के रोग ,अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिल सकता है |
[७] तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है |
[८] वास्तु दोष दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण पूर्व से लेकर वायव्य अर्थात उत्तर-पश्चिम तक के खली स्थान में लगा सकते हैं ,अथवा गमले में रख सकते हैं |
[९] पूर्व दिशा की खिड़की के पास रखने से जिद्दी पुत्र का हठ दूर होता है |
[१०] पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते कुछ दिन खिलाने से अनियंत्रित संतान आज्ञानुसार व्यवहार कर सकती है |
[११] अग्नि कोण में स्थापित तुलसी के पौधे को कन्या अगर नित्य अगर जल अर्पित कर प्रदक्षिणा करे तो उसके विवाह की बाधाएं दूर होती हैं और शीघ्र उत्तम विवाह की संभावनाएं बनती हैं |
[१२] दक्षिण -पश्चिम में रखे तुलसी के गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करने और मिठाई का भोग लगा किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय की सफ़लता बढती है और कारोबार ठीक होता है |
[१३] नित्य पंचामृत में तुलसी मिलाकर शालिग्राम का अभिषेक करने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं|
[१४] तुलसी के १६ बीज किसी सफ़ेद कपडे में बांधकर सोमवार को कार्यस्थल पर सुबह दबा देने से वहां सम्मान की वृद्धि होती है और अधिकारियों की अनुकूलता प्राप्त होती है |
[१५] ८ तुलसी के पत्ते और ८ काली मिर्च की पोटली बनाकर बांह में बाँधने से भूत-प्रेत आदि की समस्या दूर होती है | ………………………………………………………………………हर-हर महादेव
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