Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

प्राण मुद्रा से प्रतिरोधक और प्राण शक्ति

प्राण मुद्रा :: प्राण शक्ति ,प्रतिरोधक शक्ति बढाये ,नवस्फूर्ति लाये

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इतनी इम्युनिटी कोई दवा नहीं बढ़ा सकती

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आज दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है ,हर कोई अपनी शक्ति ,प्रतिरोधक क्षमता और जीवनी उर्जा बढ़ाना चाहता है ,ताकि वह संक्रामक रोगों ,मृत्यु कारक व्याधियों से बच सके |लोग लाखों खर्च कर रहे और यह दवा वह दवा कर रहे ,यह खा रहे वह खा रहे |हर कोई बचने और सर्वैव करने के अनेक जतन कर रहा |कोई भी अपने समृद्ध परंपरा को न समझना चाहता है न ही जानना चाहता है जबकि यह सब स्थितियां पहले भी आती थी और लोग फिर भी स्वस्थ रह सैकड़ों वर्ष जीते थे |आपके योग और मुद्रा विज्ञानं में ऐसी ऐसी युक्तियाँ हैं जिनसे आप स्वस्थ और सबल रह सकते हैं अपनी प्राण शक्ति ,प्रतिरोधक शक्ति इतनी बढ़ा सकते हैं की कोई रोग आपका कुछ न बिगाड़ पाए |इन्ही युक्तियों में से एक युक्ति है मुद्रा विज्ञान के अंतर्गत आने वाली प्राण मुद्रा |यह मुद्रा आपकी शक्ति को बढ़ा देती है वह भी बिना खर्च ,बिना श्रम ,बिना परामर्श और बिना दवा के |पहले देखिये यह बनती कैसे है या इसे करते कैसे हैं |

कनिष्ठिका और अनामिका (सबसे छोटी तथा उसके पास वाली) उंगलियों के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है| शेष दो उंगलियां सीधी रहती हैं|

प्राण मुद्रा एक अत्यधिक महत्वूर्ण मुद्रा है| रहस्यमय है जिसके संबंध में ऋषि-मुनियों ने अनन्तकाल तक तप, स्वाध्याय एवं आत्मसाधना करते हुए कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं| इसका अभ्यास प्रारंभ करते ही मानो शरीर में प्राण शक्ति को तीव्रता से उत्पन्न करनेवाला डायनमो चलने लगता है| फिर ज्यों-ज्यों प्राण शक्ति रूपी बिजली शरीर की बैटरी को चार्ज करने लगता है, त्यों-त्यों चेतना का अनुभव होने लगता है| प्राण शक्ति का संचार करनेवाली इस मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक दृष्टि से शक्तिशाली बन जाता है|

• ज्योतिष के हिसाब से सूर्य की अंगुली अनामिका समस्त विटामिन और प्राण शक्ति का केंद्र मानी जाती है| बुध की उंगली कनिष्ठिका युवा शक्ति व कुमारावस्था का प्रतिनिधित्व करती है अर्थात् इस मुद्रा में सूर्य-बुध की उंगलियों का अग्नि (तेज) के प्रतीक अंगूठे के साथ महत्वपूर्ण प्रयोग है| इस मुद्रा के अभ्यास से जीवन और बुध रेखा के दोष दूर होते हैं| शुक्र के अविकसित पर्वत का विकास होने लगता है|

इस मुद्रा में पृथ्वी तत्व के प्रतीक अनामिका व जल तत्व की प्रतीक कनिष्ठिका का अंगूठे अर्थात् अग्नि तत्व से मिलन होता है| इसके परिणामस्वरूप न केवल शरीर में प्राण शक्ति का संचार तेज होता है बल्कि रक्त संचार उन्नत होने से रक्त नलिकाओं की रुकावट होती है तन-मन में नवस्फूर्ति, आशा एवं उत्साह उत्पन्न होता है| यदि योग-साधना या महीनों लम्बी तपस्या के दौरान अन्न-जल न लेने से अत्यंत कृशता या कमजोरी महसूस हो रही हो तो ऐसी स्थिति में प्राण मुद्रा करने से साधक को भूख-प्यास की तीव्रता नहीं सताती| कुल मिलाकर यह मुद्रा समस्त गड़बड़ियां दूर करके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायता करनेवाली है|

प्राण मुद्रा शारीरिक दुर्बलता दूर करती है, मनको शान्त करती है, प्राण शक्ति बढाती है ,जीवनी उर्जा बढाती है ,आँखोंके दोषोंको दूर करके ज्योति बढ़ाती है, शारीरकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है, विटामिनोंकी कमीको दूर करती है तथा थकान दूर करके नवशक्तिका संचार करती है । लंबे उपवास-कालके दौरान भूख-प्यास नहीं सताती तथा चेहरे और आँखों एवं शरीरको चमकदार बनाती है । अनिद्रामें इसे ज्ञान-मुद्रा के साथ करे ।आतंरिक शक्ति का विकास होता है इससे और आत्मविश्वास की वृद्धि होने से सर्वत्र सफलता भी बढ़ जाती है |तो क्यों नहीं आप इसे आजमाते हैं केवल कुछ मिनट सुबह और शाम बैठे बैठे कहीं पर भी |

Pran Mudra: The word “prana” means life force or life energy. This powerful mudra helps optimize the flow of that life force throughout your body, and promote overall good vitality and health. This mudra of “life” is also believed to boost the immune system and to be especially beneficial for your eyes and vision.

This finger position is an all time useful Mudra and can be done for any length of time, any time, any place and will only help in adding to the benefits. This is the mudra which, along with the Apan Mudra, precedes any efforts at higher meditation by the Yogis and saints. The mudra helps to increase the Pran Shakti or the “Life force”. It increases one’s self confidence. It helps the body in increasing it’s vitality and sustenance when deprived of food and water.

It helps in improving weak eyesight and quiescence (motionlessness) of the eyes.

It supports any other treatment where the patient is short on confidence.

तो अगर आप खुद का ,परिवार का ,दोस्तों ,मित्रों ,रिश्तेदारों का भला चाहते हैं ,उनकी सुरक्षा चाहते हैं ,उनकी जीवनी उर्जा बढाना चाहते हैं तो खुद अपनाएँ ,लोगों को यह बताएं ,यह पोस्ट दिखाएँ शेयर करें ,लाभ उठायें जिसे बच्चे से बूढ़ा तक कर सकता है ,कोई खर्च नहीं लगना ,कोई श्रम नहीं लगना ,कहीं भी बैठ किया जा सकता है | ………………………………………….हर-हर महादेव


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