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बच्चा पढता नहीं :मातंगी कवच धारण कराइए

बच्चा पढता नहीं :मातंगी कवच धारण कराइए

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  हमने अपने website पर बच्चे बिगड़ रहे बात नहीं मानते या बिगड़े बच्चों सुधारें आदि विषय पर तांत्रिक उपाय और कवच ताबीज के बारे में पहले बताया है ,हम आपको उन बच्चों ,किशोरों ,युवाओं के लिए tabij के विषय में बता रहे जिनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता ,उचटता है ,एकाग्र नहीं हो पाते या जो अपनी उन्नति की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे |आध्यात्मिक शक्ति से इनमे कैसे सुधार हो सकता है यह आजके लेख का विषय है |जैसा की आप देख रहे आज के सामाजिक परिवेश में हर व्यक्ति का शिक्षित होना आवश्यक हो गया है ,बच्चे तो छोडिये माता -पिता का इंटरव्यू होने लगा है बच्चे के एडमिशन के समय क्योंकि लोगों का मानना है की माता -पिता और पारिवारिक माहौल जैसा होगा वैसा ही बच्चा विकास करेगा |इस स्थिति में बच्चे पर कितना दबाव होता होगा अनुमान लगाया जा सकता है |हर बच्चे से अपेक्षा रहती है की वह पढ़ाई में सबसे आगे होगा और कोई बड़ा काम करेगा |पहले की अवधारणा समाप्त हो गई की बच्चे में जो विशेषता हो उसे ही विकसित किया जाय |हर क्षेत्र में प्रतिद्वंदिता और प्रतियोगिता हो गई और हर जगह परीक्षा हो गई है |यहाँ तक की एडमिशन लेने के लिए भी प्रतियोगी परीक्षा पास करनी पड़ रही |हर माता पिता अपने बच्चे को डाक्टर ,इंजिनियर ,आई ए एस ,आई पी एस ,बनाना चाहता है ,व्यवसाय के लिए मैनेजमेंट की डीग्री ली जा रही |यहाँ तक स्थिति पहुँच गई है की तनाव से उबरने के लिए भी मनोवैज्ञानिक परामर्श और दवाएं लग रही |कम्प्यूटर शिक्षा प्राइमरी में ही दी जाने लगी |पारिवारिक माहौल बच्चे के अवचेतन को प्रभावित कर रहे |

          बच्चे का स्वाभाविक न तो विकास हो रहा ,न ही पारिवारिक माहौल रहा न ही खान पान रहा अतः अक्सर बच्चे दबाव से एकान्तप्रिय और उग्र हो रहे |पढ़ाई पढ़ाई करते करते वह पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते |थोडा सा अवसर मिला नहीं की उनका मन कही और भटकने लगता है |कभी पढ़ाई की बजाय खेलकूद में ही लगे रहते हैं ,दबाव में उद्दंडता करने लगते हैं |कुछ उदास और दब्बू हो जा रहे |असम्मान की भावना भी कभी दिखती है जबकि ख्वाब बड़े और काम कम आम हो गया है |पढ़ाई में एकाग्रता की कुंजी कुछ तो नशे में ढूँढने लगते हैं |

       नौकरी आदि की कमी से केवल सर्वोच्च को ही अवसर मिलते हैं यह भी दबाव का एक कारण है |यदि बचपन में ध्यान नहीं दिया गया तो आगे जाकर बच्चा पिछड़ जाता है |एक बार मन भटका तो फिर भटकता ही जाता है |सह शिक्षा ,टेलीविजन ,इंटरनेट ,मोबाइल की उपलब्धता बच्चों को वह सब बता दे रही जो पहले बड़े भी नहीं जानते थे | इससे भी मन भटक रहा |इन समस्याओं के अनेक कारण हैं ,पारिवारिक स्थिति ,आर्थिक परिस्थिति ,पारिवारिक माहौल ,आसपास का वातावरण ,माता पिता की अपेक्षाएं ,माता पिता का आपसी व्यवहार आदि का प्रभाव तो बच्चों पर पड़ता ही है आज हर घर में वास्तु दोष ,पित्र दोष ,कुलदेवता दोष होने से नकारात्मकता भी हो रही ,स्थानों की नकारात्मकता अलग से परेशान कर रही ,यह भी बच्चों के विकास में गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे |अक्सर समय पर ध्यान न देने पर बाद में बच्चा वह नहीं पाता जिसके वह योग्य होता है |नकारात्मक प्रभाव रुकावट और दोष उत्पन्न कर देते हैं जिससे वह भी नहीं मिल पाता जो भाग्य में होता है |

               इन समस्याओं का कुछ हल ज्योतिष में है किन्तु सम्पूर्ण हल वहां नहीं है क्योंकि नकारात्मकता का इलाज वहां नहीं ,अवचेतन का इलाज वहां नहीं |सम्पूर्ण हल मात्र तंत्र में है जहाँ इन समस्याओं के लिए ऐसी शक्ति का उपयोग होता है जो अवचेतन को भी सुधारे और अतिरिक्त ऊर्जा देने के साथ नकारात्मक प्रभाव भी कम करे |इस हेतु हम मातंगी महाविद्या की शक्ति की सहायता लेते हैं जो वाग्देवी सरस्वती ही हैं किन्तु यह उनका तांत्रिक स्वरुप है अतः मातंगी नकारात्मक प्रभाव भी कम करती है |जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता ,जो भटक रहे ,बिगड़ रहे ,अनुचित कार्यों की और जा रहे उन्हें मातंगी कवच धारण कराना सबसे अच्छा विकल्प है |इस कवच के प्रभाव से बच्चे का अवचेतन प्रभावित होता है ,उसमे खुद के अच्छे बुरे के प्रति समझ विकसित होती है ,उसमे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ,एक अतिरिक्त शक्ति प्राप्त होती है |नकारात्मक प्रभाव शरीर पर से कम होते हैं |ऊर्जा उत्साह की वृद्धि होती है |प्रतियोगिता ,परीक्षा आदि में सफलता बढ़ जाती है ,निर्णय क्षमता में सुधार होता है |नैतिक समझ बढती है |विभिन्न दोषों का प्रभाव इनपर कम हो जाता है |स्वयं आगे बढ़ने की इच्छा का विकास होता है |दैवीय शक्ति की सहायता मिलती है |

              यदि बिगड़ रहे बच्चों ,बड़ों ,अनुचित प्यार मुहब्बत में फंसे ,गलत कार्यों की ओर उन्मुख ,नशे =अपराध की ओर जा रहे के लिए चितबदला कवच होता है तो पढाई में मन लगाने ,समय पर उन्नति करने ,स्वनिर्णय का विकास करने तथा समग्र मानसिक शक्ति पाने के लिए मातंगी कवच होता है |यदि आप चाहते हैं की आपका बच्चा समुचित विकास करे ,उसके भाग्य का उसे अधिकतम मिले ,उसकी निर्णय क्षमता अच्छी हो ,वह स्वयं अपनी उन्नति के प्रति जागरूक हो और नकारात्मक प्रभाव से सुरक्षित रहे ,अच्छा बुरा समझे ,आपकी भावना समझे ,नजर टोटकों से सुरक्षित रहे तो आपको उसे मातंगी कवच धारण कराना चाहिए |समय निकलने पर समय वापस नहीं आता और बिगड़ जाने पर कुछ भी पूरा नहीं सुधारा जा सकता |यह कवच सामान्यतया ९ से १९ वर्ष तक के बच्चों के लिए अधिक उपयुक्त होता है जबकि १९ वर्ष से अधिक आयु के युवा के लिए पूर्ण शक्तियुक्त मातंगी कवच की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ती है |


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