Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

महामृत्युंजय कवच /यन्त्र

महामृत्युंजय उर्ध्वमुख यन्त्र

==================

          वैदिक देवताओं में पांच शक्तियाँ आती हैं ,अग्नि ,वायु ,इंद्र ,विष्णु और रूद्र |इन सब में रूद्र मृत्यु के देवता हैं जिनका कार्य संहार है |इन रूद्र को मृत्युंजय महादेव भी कहते हैं और इनका एक विशिष्ट स्वरुप है |मृत्यु ,यम आदि सब इनके ही अधीन हैं और यह एक मात्र ऐसे देवता हैं जो मृत्यु भय को हटा सकते हैं |इनका मंत्र मृत्युंजय मंत्र और इनका यन्त्र मृत्युंजय यन्त्र कहलाता है |इनकी शक्तियों के साथ जब जीवनी शक्ति गायत्री का संयोग होता है तो इनका मंत्र बन जाता है महामृत्युंजय मंत्र और यन्त्र होता है महामृत्युंजय यन्त्र |यह यन्त्र मात्र मृत्यु भय ही नहीं हटाता अपितु जीवनी उर्जा भी बढ़ा देता है |इसीलिए महामृत्युंजय मंत्र और यन्त्र को पृथ्वी पर सबसे बड़ा रक्षक कहा जाता है |

           ज्योतिष हो अथवा पांडित्य ,कष्ट हो अथवा वायव्य भूत -प्रेत की बाधा ,टोना -टोटका हो या स्थान दोष -वास्तु दोष ,अकाल मृत्यु भय हो अथवा कुंडली में ग्रह बाधा ,जब भी कोई समस्या दिखती है एक सामान्य उपाय सुझाया जाता है ,महामृत्युंजय जप ,महामृत्युंजय अनुष्ठान ,रुद्राभिषेक अथवा शिव की पूजा |महामृत्युंजय का प्रयोग सबसे अधिक सुझाया जाता है और किया भी जाता है क्योंकि यह मृत्यु के भय को भी हटाने की क्षमता रखता है |सबके लिए पतिदिन महामृत्युंजय का जप करना अथवा पूर्ण महामृत्युंजय का अनुष्ठान कराना सम्भव नहीं होता क्योंकि यह समय भी लेता है ,शुद्ध पाठ भी करना होता है और गलतियों पर क्षति की सम्भावना भी होती है |इसके साथ ही इस अवधि में अनेक सावधानिय और बचाव भी रखने होते हैं जो आज के व्यस्ततम युग में सबके लिए सम्भव नहीं |अनुष्ठान कराने पर भी खुद व्यक्ति को भी सभी सावधानियां रखनी होती हैं तथा अनुष्ठान का लंबा खर्च भी आता है जो हर कोई वहन नहीं कर सकता |इस स्थिति में महामृत्युंजय या महामृत्युंजय उर्ध्वमुख यन्त्र धारण करना श्रेष्ठ विकल्प होता है |

           यदि यन्त्र रचना स्वयं करनी हो तो शुभ मुहूर्त में चांदी ,ताम्बे के पत्र पर अथवा भोजपत्र पर इस यन्त्र की रचना यक्ष कर्दम से अनार की कलम द्वारा करनी चाहिए |यदि पूजन यन्त्र बनवा रहे हैं तो इसे शुभ मुहूर्त में बनवाना चाहिये |बाजार में मिलने वाले यन्त्र के प्रयोग से बचना चाहिए क्योंकि वह कब बने हैं पता नहीं |शुभ मुहूर्त में तामे के पत्र पर इन्हें खुदवाना चाहिए और घर लाकर अग्न्युत्तरण विधि से प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए |धारण करने के लिए भोजपत्र यन्त्र श्रेष्ठ होता है ,निर्माण बाद यन्त्र को एकांत शुद्ध स्थान में प्रतिष्ठित कर प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए |फिर नियमित रूप से इसकी पूजा करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जप कम से कम रोज एक माला करनी चाहिए |

          प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात दैनिक मंत्र जप के पूर्व विनियोग और न्यासादी करना विशेष उत्तम रहता है |यदि यह न कर सकें तो नियमित रूप से श्रद्धा पूर्वक यन्त्र की पूजा और मंत्र जप करें |इसके प्रभाव से साधक को शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है |रोग शमन एवं मृत्यु संकट निवारण में इसका अद्वितीय प्रभाव है |धारण यन्त्र को निर्मित कर प्राण प्रतिष्ठा बाद इस पर कम से कम २१००० मंत्र जप से अभिमन्त्रण होना चाहिए और हवन बाद चांदी के कवच में इसे धारण करना चाहिए |यदि खुद महामृत्युंजय का पूर्ण पुरश्चरण अर्थात सवा लाख जप का पुरश्चरण नहीं किया हो तो यन्त्र किसी ऐसे साधक या तांत्रिक से बनवाना चाहिए जिसने महामृत्युंजय के व्यक्तिगत कम से कम सवा लाख जप का पुरश्चरण किया हो |यन्त्र तभी प्रभाव देता है जब उसमे ऊर्जा स्थापित की जाय अन्यथा मिलने को तो कुछ रुपये में बाजार में अनेक यन्त्र मिल जाते हैं |व्यक्ति अथवा साधक में शक्ति नहीं तो यन्त्र प्रभाव नहीं दिखाते |

            महामृत्युंजय उर्ध्वमुख यन्त्र धारण से अकाल मृत्यु भय ,कुंडली में ग्रह निर्मित मारक ग्रह का प्रभाव ,शनी -राहू -केतु के दुष्प्रभाव ,कालसर्प दोष का शमन होता है |भूत -प्रेत -वायव्य बाधाओं से सुरक्षा होती है तथा यह पहले से प्रभावित कर रहे तो क्रमशः इनके प्रभाव में कमी आती है |वाहन से ,आग्नेयास्त्र से ,शत्रु -विरोधी से अथवा संभावित दुर्घटना से बचाव होता है |स्थान दोष ,वास्तु दोष ,मकान दोष अथवा किये -कराये के दोष से उत्पन्न ऊर्जा से बचाव होता है |अशुभ नकारात्मक उर्जाओं के प्रभाव से शरीर सुरक्षित रहता है |शरीर में व्याप्त नकारात्मक उरा का क्रमशः क्षय होता है जिससे आभामंडल की तेजस्विता बढती है |मांगलिक कार्यों में ,कार्यों में ,व्यवसाय में आ रही बाधाएं कम होती हैं |व्यक्ति में शुद्धता ,नयी ऊर्जा ,उत्साह का विकास होने से सफलता में वृद्धि होती है |कहीं किसी भी प्रकार के खतरे ,हानि ,संकट की सम्भावना होने पर महामृत्युंजय यन्त्र धारण करना सर्वश्रेष्ठ विकल्प होता है |टोने -टोटके ,तांत्रिक क्रिया ,अभिचार ,आकर्षण ,वशीकरण ,मारण आदि क्रिया से बचाव तो करता ही है आतंरिक ऊर्जा और शक्ति भी बढाता है जिससे व्यक्तित्व का प्रभाव भी बदल जाता है ,सफलता बढ़ जाती है |लम्बे ,असाध्य ,दुसाध्य ,प्राण धातक ,मारक रोग बिमारी में तो यह एक मात्र विकल्प होता है जबकि चिकित्सा विज्ञान और चिकित्सक भी असफल होने लगते हैं |……………………………………………हर-हर महादेव


Discover more from Alaukik Shaktiyan

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Latest Posts