Alaukik Shaktiyan

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मृत्युंजय यन्त्र /कवच /ताबीज

प्राण रक्षक मृत्युंजय यंत्र

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        यन्त्र चिंतामणि में भगवान् शिव ने प्राणों की रक्षा के लिए मृत्युंजय यन्त्र का विधान बतलाया है |जब कोई क्रुद्ध शासक अहित करना चाहता हो अथवा कोई शत्रु घात करना चाहता हो ,रात दिन पीछे पडा रहता हो ,तो आत्मरक्षा के लिए लोहे की कलम से यक्ष कर्दम से इस यन्त्र को दो भोजपत्रों पर लिखे |

      शिव के चरणों में यन्त्र को रखकर पूजा करें और प्राण प्रतिष्ठा करें |एक यन्त्र वहीँ रखा रहने दें तथा दुसरे को ताम्बे के कवच में भरकर धारण करें |इसके प्रभाव से शत्रु अनुकूल होगा |

       यदि किसी का क्रोध शांत करना हो ,तो दुसरे यन्त्र को एक शिला पर रखकर ,दूसरी भारी शिला से दबा दें |यन्त्र में शत्रु का नाम लिखें |यह यन्त्र प्राणों की रक्षा करने वाला है |इसका प्रताप एक बार तो काल के क्रोध को भी शांत कर देता है |…………………………………………….हर-हर महादेव


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