Alaukik Shaktiyan

ज्योतिष ,तंत्र ,कुण्डलिनी ,महाविद्या ,पारलौकिक शक्तियां ,उर्जा विज्ञान

मृतसंजीवनी यन्त्र /कवच /ताबीज

मृतसंजीवनी यन्त्र

============

        मृत संजीवनी विद्या भगवान् शिव द्वारा प्रकट की गयी विद्या है जिस पर दैत्य गुरु शुक्राचार्य का पूर्ण अधिकार था और वह इससे दैत्यों की देवताओं के साथ युद्ध में मृत्यु हो जाने पर भी उनको जीवित कर दिया करते थे |इस विद्या को जानने के लिए देव गुरु वृहस्पति को भी कच को गुप्त रूप से शुक्राचार्य के पास भेजना पड़ा था |मृत संजीवनी विद्या के बारें में हमने अपने पूर्व के लेख में विस्तार से चर्चा किया है और विद्या तथा अनुष्ठान समझाया है |इस लेख में हम मृत संजीवनी यन्त्र पर प्रकाश डालते हैं |

         मृत संजीवनी यन्त्र सामान्यतया मृत्यु की निश्चित अवस्था में ही उपयोग होता है और उसका निर्माण और अनुष्ठान मात्र तभी होता है जब बिलकुल मृत्यु सम्भावित हो | संजीवनी यन्त्र तब भी बनाया और प्रतिष्ठित- अभिमंत्रित किया जाता है ,जब कोई गंभीर शारीरिक कष्ट हो ,असाध्य -दुह्साध्य रोग हो ,बीमारी जो ठीक न हो पा रही हो ,नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति बीमार भी हो किन्तु कोई बीमारी चिकित्सक की पकड़ में न आ रही हो |प्राणों पर किसी खतरे की सम्भावना हो या दुर्घटना आदि का भय हो |किसी द्वारा तांत्रिक अभिचार या टोना -टोटका किया जा रहा हो या किया गया हो |कोई बाहरी शक्ति या नकारात्मक या भूत -प्रेत जैसी कोई शक्ति परेशान कर रही हो |किसी प्रकार का मृत्यु भय हो अथवा शत्रु विरोधी द्वारा खतरे की आशंका हो |इन स्थितियों में जबकि सामने स्पष्ट और निश्चित मृत्यु न दिखे और प्राण भय या खतरा भी हो तब भी मृत संजीवनी यन्त्र प्रयोग किया जाता है जो की हम इस चित्र में प्रदर्शित कर रहे हैं |

         मृत संजीवनी मंत्र का संकल्पित अनुष्ठान मात्र तभी होता है जब मृत्यु की निश्चित संभावना हो किन्तु मृत संजीवनी यन्त्र उपरोक्त बतायी गयी स्थितियों में भी धारण किया जा सकता है तथा इससे बहुत लाभ मिलता है |यह प्राण ऊर्जा भी बढाता है और साथ ही सुरक्षा भी देता है |महा मृत्युंजय की शक्ति सभी विघ्न बाधाएं हटा पूर्ण सुरक्षित करती है जबकि गायत्री की शक्ति जीवनी ऊर्जा का संचार करती है जिससे नव जीवन प्राप्त होता है |

         मृत संजीवनी मंत्र साधना में मृत संजीवनी यन्त्र का प्रयोग किया जाता है और प्रतिदिन इसकी पूजा विधिवत की जाती है |इसके बाद मंत्र जप होता है |मृत संजीवनी मंत्र के साधक इसे स्वतंत्र रूप से भी मृत्यु के समीप पहुँच रहे व्यक्ति के लिए बनाते हैं और अभिमंत्रित कर धारण कराते हैं |कैंसर ,ह्रदय रोग ,एड्स ,गंभीर दुर्घटना ,ह्रदय की खराबी ,किडनी की खराबी ,मश्तिश्काघात आदि जैसी बीमारियों अथवा जब भी मृत्यु की संभावना बन रही हो इसका प्रयोग किया जाता है |आज के समय में मृत संजीवनी विद्या से भी मृत को जीवित करने की क्षमता रखने वाला साधक मिलना बेहद मुश्किल है ,यद्यपि असंभव कुछ भी नहीं और अपवाद हमेशा उपलब्ध होता है पर जिनके पास यह क्षमता हो वह आज के समय में सामाजिक रूप से सक्रीय होगा ,कहना मुश्किल है |अतः मृत्यु समीप वाले पर ही इसका प्रयोग अधिक उपयुक्त है और ऐसे व्यक्ति को धारण कराने से दो तरह की क्रिया होती है |एक तो उसकी प्राण शक्ति बढ़ जाती है गायत्री के प्रभाव से ,दुसरे आसन्न मृत्यु को टाला जा सकता है महामृत्युंजय भगवान् शिव के प्रभाव से |अतः जब भी किसी की मृत्यु की आशंका समीप हो उसे मृत संजीवनी यन्त्र कम से कम २१००० मन्त्रों से अभिमंत्रित करके धारण कराना चाहिए |

       महामृत्युंजय मंत्र में जहां हिंदू धर्म के सभी 33 देवताओं (8 वसु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 वषट तथा ऊँ) की शक्तियां शामिल हैं वहीं गायत्री मंत्र प्राण ऊर्जा तथा आत्मशक्ति को चमत्कारिक रूप से बढ़ाने वाला मंत्र है। विधिवत रूप से संजीवनी मंत्र की साधना करने से इन दोनों मंत्रों के संयुक्त प्रभाव से व्यक्ति में कुछ ही समय में विलक्षण शक्तियां उत्पन्न हो जाती है। इस मंत्र से अभिमंत्रित मृत संजीवनी यंत्र /कवच अद्भुत लाभ देता है |

           जब उपरोक्त समस्याएं हो तो इस यन्त्र का निर्माण शिवरात्री के दिन अथवा किसी सोमवार के दिन शुभ मुहूर्त में भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध से इस यंत्र की रचना मृत संजीवनी मंत्र जिसे सिद्ध हो मात्र वही साधक करें ,तत्पश्चात यन्त्र को श्वेत चन्दन लगाकर श्वेतासन पर प्रतिष्ठित कर प्राण प्रतिष्ठा करें |फिर चन्दन ,बेलपत्र ,मदार -पुष्प ,धतूरा पुष्प ,फल गुग्गुल की धुप और दीपादी से यन्त्र की पूजा करें |इसके बाद कम से कम ११००० संजीवनी मन्त्रों से यन्त्र को अभिमंत्रित कर चांदी के कवच में धारण करें या कराएं |यह प्रयोग हम मृत संजीवनी के साधकों के लिए बता रहे हैं |सामान्य लोग इस यन्त्र का निर्माण तो कर सकते हैं किन्तु वह इसे अभिमंत्रित नहीं कर पायेंगे क्योंकि इसके लिए मृत संजीवनी मंत्र का कम से कम एक पुरश्चरण अर्थात सवालाख जप का अनुष्ठान व्यक्ति को किया हुआ होना चाहिए |इतने बड़े मंत्र का सवालाख जप का अनुष्ठान सामान्य व्यक्ति तो क्या अच्छे अच्छे साधक नहीं कर पाते क्योंकि यहाँ दीक्षा और गुरु अनुमति आवश्यक होने के साथ ही कम से कम 5 लाख गायत्री मंत्र का और कम से कम 5 लाख महा मृत्युंजय मंत्र का जप व्यक्ति को किया हुआ होना चाहिए तभी वह मृत संजीवनी का पुरश्चरण सवा लाख का कर सकता है |कारण की इस मंत्र से इतनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है की कोई सामान्य साधक इसे सम्भाल नहीं पाता अतः पात्रता और गुरु कृपा आवश्यक होती है |

           यदि कोई गंभीर शारीरिक कष्ट से पीड़ित हो ,असाध्य -दुह्साध्य रोग हो ,बीमारी जो ठीक न हो पा रही हो ,नकारात्मक प्रभावों से व्यक्ति बीमार भी हो किन्तु कोई बीमारी चिकित्सक की पकड़ में न आ रही हो |प्राणों पर किसी खतरे की सम्भावना हो या दुर्घटना आदि का भय हो |किसी द्वारा तांत्रिक अभिचार या टोना -टोटका किया जा रहा हो या किया गया हो |कोई बाहरी शक्ति या नकारात्मक या भूत -प्रेत जैसी कोई शक्ति परेशान कर रही हो |किसी प्रकार का मृत्यु भय हो अथवा शत्रु विरोधी द्वारा खतरे की आशंका हो |इन स्थितियों में जबकि सामने स्पष्ट और निश्चित मृत्यु न दिखे और प्राण भय या खतरा भी हो तब किसी मृत संजीवनी विद्या के जानकार से इस यन्त्र का निर्माण करा कम से कम ११००० मन्त्रों से उसे अभिमंत्रित ,हवन ढूपित करा चांदी के कवच में गले में धारण करें तो उसकी समस्या में लाभ होता है |इस यंत्र के प्रभाव से शारीरिक क्लेश ,रोग और मृत्यु भय ,अभिचार ,टोने -टोटके दूर होते हैं |

          जबकि किसी की मृत्यु स्पष्ट सम्भावित हो जाए ,जैसे कैंसर जैसे रोग के या दुर्घना से कोमा सी स्थिति में लगे की मृत्यु अब होगी तब होगी तो उस स्थिति में मृत संजीवनी अनुष्ठान में प्रयोग होने वाले यन्त्र /कवच की आवश्यकता होती है जो की पूरे अनुष्ठान में अभिमंत्रित हुआ हो |ऐसे में वह अधिक शक्तिशाली होता है |इसमें व्यक्ति के नाम से संकल्पित अनुष्ठान चलता है जिसके पूर्ण होने पर यन्त्र कवच में भर धारण कराया जाता है |………………………हर-हर महादेव


Discover more from Alaukik Shaktiyan

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Latest Posts