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व्यावसायिक उन्नति के लिए महालक्ष्मी प्रयोग

दीपावली पर महालक्ष्मी प्रयोग
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          दीपावली पर महालक्ष्मी का विशेष महत्त्व है |इस दिन इनकी पूजा से माना जाता है की वर्ष भर सुख समृद्धि प्राप्त होती है |इस दिन अनेक मन्त्र सिद्ध किये जाते हैं ,यन्त्र बनाये जाते हैं ,तांत्रिक सिद्धियाँ की जाती हैं |यह महानिशा तांत्रिक प्रयोगों और नकारात्मकता हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है |जो तांत्रिक विधियाँ जानते हैं उनके लिए तो महानिशा की साधना आसान होती है ,पर सामान्य लोग इससे कैसे अधिकतम लाभ उठायें ,इस हेतु हम एक विशिष्ट प्रयोग प्रस्तुत कर रहे हैं |हमारे द्वारा अपने इच्छुक लोगों को पूर्व में जो दिव्य गुटिकाये /डिबिया भेजी गई हैं उस पर यह प्रयोग अत्यधिक प्रभावकारी होगा |अतः दिव्य गुटिका धारक दीपावली के दिन उस पर यह प्रयोग कर अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें इसलिए हम यह प्रयोग लिख रहे हैं ,क्योकि जिन्हें भी हमने गुतिकाएं भेजी हैं उनके प्रति हमारी नैतिक जिम्मेदारी होती है की हम उन्हें समय समय पर उससे सम्बंधित विशेष विभिन्न प्रयोग बताएं जिससे वह अधिकतम लाभ प्राप्त कर सुखी हो सकें |दीपावली बाद अगले क्रमों में हम दिव्य गुटिका पर नकारात्मक ऊर्जा हटाने ,आकर्षण सिद्धि ,वशीकरण सिद्धि ,व्यापार बाधा निवारक प्रयोग ,आकाश्मिक -आय -व्यवसाय वर्धक प्रयोग ,आजीविका प्राप्ति प्रयोग ,विदेश गमन बाधा निवारक प्रयोग आदि क्रमशः प्रस्तुत करेंगे ,जिससे हमारे दिव्य गुटिका धारक एक ही चमत्कारी डिब्बी से अनेक प्रयोग कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकें |
प्रयोग
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दीपावली की रात्री शुद्ध स्वच्छ होकर उपयुक्त मुहूर्त में पूजा स्थल पर बैठें |अपने सामने जो भी आपके पहले से लक्ष्मी गणेश हों अथवा जो भी पूजा करनी हो जिसकी भी उन सबको अपने सामने बाजोट या चौकी पर लाल अथवा पीला कपडा बिछाकर रखे |कपडे पर कुमकुम से अथवा सिन्दूर से अष्टदल कमल का निर्माण मध्य में कर उस पर दिव्य गुटिका स्थापित करें |जिनके पास दिव्य गुटिका न हो वे लक्ष्मी जी को ही रख सकते हैं |इस पूजन में खुद केवल एक वस्त्र धारण करें ,ठंडक महसूस हो तो अतिरिक्त ऊनि वस्त्र से खुद को ढक सकते हैं |पूजन की दिशा पश्चिम की ओर रखें |यदि जप करना आटा हो तो रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला से इस समय जप करें अन्यथा केवल समय निश्चित कर ले |कम से कम दो घंटे जप करना है |
अब हाथ में जल लेकर विनियोग बोले-
ॐ अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:,गायत्री छन्दः ,श्री महालक्ष्मीर्देवता ,श्रीं
बीजं ,नमः शक्तिः ,सर्वेष्ट सिद्धये जपे विनियोगः |———– हाथ का जल भूमि पर छोड़ दें |
अब अगर न्यास करना आता हो तो रिश्यादी न्यास ,कर न्यास आदि करें ,नहीं आता तो खुद में कमला
महालक्ष्मी की भावना करें |  अब ध्यान करें
ॐ सिन्दूरारुण कान्तिमब्जवसति सौन्दर्यवारान्निधि कोटिरांगदहारं कुंडल कटीसूत्रादिभी र्भुशिताम | हस्ताब्जैर्वसूपत्रमब्ज युगलादशौं वहन्तीं परामावीताम  परिचारिकाभिरनिशं ध्यायेत्प्रियाँ शार्गिण:||
       अब आँखें बंद कर अपने मन में लक्ष्मी जी की मूर्ती सजीव करें और धीरे धीरे उन्हें लाकर बाजोट
में राखी मूर्ती और दिव्य गुटिका में क्रमशः उन्हें स्थापित करें और भावना करें की लक्ष्मी जी उनमे आकर बैठ गई हैं | 
अब जितना आपको पूजन आता है उतना पूजन करें ,जैसे जल ,अक्षत ,चन्दन ,सिन्दूर ,पुष्प ,धुप ,दीप ,नैवेद्य [प्रसाद या मिष्ठान्न ],लौंग -इलायची आदि समर्पित करें | इसके बाद आप रुद्राक्ष अथवा स्फटिक की माला से निम्न मंत्र की 11 माला जप करें ,अगर माला करना नहीं आता तो आप २ घंटे तक जप करें |
मंत्र –
——– ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ||
         जप पूर्ण होने पर हाथ में जल लेकर देवी के बाएं हाथ में जप को समर्पित करें और अपनी सुख समृद्धि धन धान्य की कामना करें |तदुपरांत आरती करें और किसी प्रकार की गलती हेतु क्षमा प्रार्थना करें |
सुबह दिव्य गुटिका अथवा मूर्ती ,यंत्र पूजा स्थान पर स्थापित करें और अगले दिन से रोज कम से कम एक माला उपरोक्त मन्त्र की उस पर करते रहें |
विशेष
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उपरोक्त पूजन प्रक्रिया अति सामान्य जन हेतु है ,जो किसी प्रकार की पूजा पद्धति नहीं जानते ,अधिकतम लाभ उन्हें कैसे दिया जाए इस उद्देश्य के दृष्टिगत यह पद्धति बनाई गई है |जो साधक हैं अथवा जो जानकार हैं वह अपने जानकारी के अनुसार पूजा बढ़ा अथवा घटा सकते हैं |………………………………………………………………हर
हर महादेव

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