Category: Spiritual Science
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टोना -टोटका ,यन्त्र -ताबीज कैसे प्रभावित करता है ?
::::::::::::::::कैसे काम करते हैं टोने -टोटके -गंडे और ताबीज :::::::::::::::::: =============================== ========================= . यह…
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शनि कवच
::::::::::::::::शनि दोष निवारक कवच :::::::::::::::: ================================= इस दुनिया में प्रत्येक पांच में से…
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मंत्र कैसे प्रभावित करते हैं
:::::::::::::::::::.मंत्रो की शक्ति और प्रभाव ::::::::::::::::: .. मन्त्र एक विशिष्ट उर्जा उत्पन्न करने…
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Mastering the First Impression: Your intriguing post title goes here
Engaging Introductions: Capturing Your Audience’s Interest The initial impression your blog post makes is…
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Hello world!
Welcome to WordPress. This is your first post. Edit or delete it, then start…
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तांत्रिक और तंत्र से भय क्यों
तांत्रिक और तंत्र से भय क्यों ================== क्यों डरते हैं लोग तंत्र के नाम…
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साधनाओं के प्रकार और उनकी विशिष्टता
साधनाओं के प्रकार और उनकी विशिष्टता ========================== शास्त्रों में हजारों तरह की…
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माता भद्रकाली और षोडशोपचार पूजन
माता भद्रकाली और षोडशोपचार पूजन ============================= माता भद्रकाली ,आद्या शक्ति महाकाली की एक रूप…
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बीज मन्त्र और शरीर पर प्रभाव
बीज मन्त्र और शरीर पर प्रभाव ======================= बीज मन्त्रों से अनेकों रोगों का निदान…
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भाग्य कैसे बदलें अपना ? -२
कैसे बदलें अपने भाग्य को -२ ====================[[ प्रथम भाग का शेष ]] यदि आप…
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भाग्य कैसे बदलें अपना ? -१
कैसे बदलें अपने भाग्य को -१ ==================== जीवन संघर्ष में ही जा रहा ,रोज…
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वशीकरण /आकर्षण के दुष्प्रभाव /नुकसान
वशीकरण /आकर्षण के दुष्प्रभाव /नुकसान ==================== वशीकरण ,आकर्षण ,मोहित करना यानी मोहन इन्ही तीन…
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आद्य-शक्ति माँ कामाख्या और कुमारी पूजा
आद्य–शक्ति माँ कामाख्या और कुमारी पूजा =========================== सती स्वरूपिणी आद्यशक्ति महाभैरवी कामाख्या तीर्थ विश्व…
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कामाख्या देवी और अम्बुवाची पर्व
महामाता कामाख्या देवी और अम्बुवाची पर्व ============================ कामाख्या मंदिर गुवाहाटी(असम) से 8 किलोमीटर दूर…
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नवरात्र , दीपावली में धन की लालसा
नवरात्र दीपावली और धन की लालसा ============================ दीपावली ,नवरात्रि की पूजा सामान्य जन में…
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लक्ष्मी बुलाने से नहीं आती
लक्ष्मी बुलाने से नहीं आती ==================== दीपावली की पूजा सामान्य जन में सुख –समृद्धि…
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अप्सरा साधना के नियम
अप्सरा साधना के नियम ================== अप्सराये अत्यंत सुंदर और जवान होती हैं. उनको सुंदरता…
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आगम तंत्र शास्त्र -२ [Aagam Tantra-२ ]
::::::::::::::::आगम तंत्र शास्त्र :::::::::::::: [पिछले भाग का शेष ] ‘ब्रह्मयामल’ के अनुसार नि:श्वास आदि तंत्र शिव के मध्य स्रोत से उद्भूत हुए थे और ऊर्ध्व वक्ष से निकले हैं। ब्रह्मयामल के मतानुसार नयोत्तर संमोह अथवा शिरश्छेद वामस्रोत से उद्भूत हैं। जयद्रथयामल में भी है कि शिरच्छेद से नयोत्तर और महासंमोहन – ये तीन तंत्र शिव के बाम स्रोत से उद्भूत हैं। द्वैत और द्वैताद्वैत शैव आगम अति प्राचीन है, इसमें संदेह नहीं। परंतु जिस सरूप में वे मिलते हैं और मध्य युग में भी जिस प्रकार उनका वर्णन मिलता है, उससे ज्ञात होता है कि उसका यह रूप अति प्राचीन नहीं है। काल भेद से विभिन्न ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण ऐसा परिवर्तन हो गया है। फिर भी ऐसा माना जा सकता है कि मध्य युग में प्रचलित पंचरात्र आगम का अति प्राचीन रूप जैसा महाभारत शांति पर्व में दिखाई देता है उसी प्रकार शैवागम के विषय मे भी संभावित है। महाभारत के मोक्ष पर्व के अनुसार स्वयं श्रीकृष्ण ने द्वैत और द्वैताद्वैत शैवागम का अध्ययन उपमन्यु से किया था। ‘कामिक आगम’ में है कि सदाशिव के पंचमुखों में से पांचरात्र स्रोतों का संबंध है। इसीलिये कुल स्रोत 25 हैं। पाँच मुखों के पाँच स्रोतों के नाम हैं– 1. लौकिक, 2. वैदिक 3. आध्यात्मिक, 4. अतिमार्ग,…
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आगम तंत्र शास्त्र [Aagam Tantra ]
:::::::::::::::::::आगम तंत्र शास्त्र :::::::::::::::::: =============================== आगम ग्रंथ में साधारणतया चार पाद होते है – ज्ञान, योग, चर्या और क्रिया। इन पादों में इस समय कोई–कोई पाद लुप्त हो गया है, ऐसा प्रतीत होता है और मूल आगम भी सर्वांश में पूर्णतया उपलब्ध नहीं होता, परंतु जितना भी उपलब्ध होता है वही अत्यंत विशाल है, इसमें संदेह नहीं। प्राचीन आगमों का विभाग इस प्रकार हो सकता है: शैवागम ( संख्या में दस ), रूद्रागम ( संख्या में अष्टादश ) ये अष्टाविंशति आगम (१० + ८ = १८) ‘सिद्धांत आगम’ के रूप में विख्यात हैं। ‘भैरव आगम’ संख्या में चौंसठ सभी मूलत: शैवागम हैं। इन ग्रंथों में शाक्त आगम आंशिक रूप में मिले हुए हैं। इनमें द्वैत भाव से लेकर परम अद्वैत भाव तक की चर्चा है। शैवागम किरणागम, में लिखा है कि, विश्वसृष्टि के अनंतर परमेश्वर ने सबसे पहले महाज्ञान का संचार करने के लिये दस शिवों का प्रकट करके उनमें से प्रत्येक को उनके अविभक्त महाज्ञान का एक एक अंश प्रदान किया। इस अविभक्त महाज्ञान को ही शैवागम कहा जाता है। वेद जैसे वास्तव में एक है और अखंड महाज्ञान स्वरूप है, परंतु विभक्त होकर तीन अथवा चार रूपों में प्रकट हुआ है, उसी प्रकार मूल शिवागम भी वस्तुत: एक होने पर भी विभक्त होकर दस आगमों के रूप में प्रसिद्व हुआ है। इन समस्त आगमधाराओं में प्रत्येक की परंपरा है। दस शिवों में पहले प्रणव शिव हैं। उन्होंने साक्षात् परमेंश्वर से जिस आगम को प्राप्त किया था उसका नाम ‘कामिक’ आगम है। प्रसिद्वि है कि उसकी श्लोकसंख्या एक परार्ध थी। प्रणव शिव से त्रिकाल को और त्रिकाल से हर को क्रमश: यह आगम प्राप्त हुआ। इस कामिक आगम का नामांतर है, कामज, त्रिलोक, की जयरथकृत टीका में कही नाम मिलता है। द्वितीय शिवागम का नाम है – योग । इसकी श्लोक संख्या एक लक्ष है, ऐसी प्रसिद्वि है। इस आगम के पाँच अवांतर भेद हैं। पहले सुधा नामक शिव ने इसे प्राप्त किया था। उनसे इसका संचार भस्म में; फिर भस्म से प्रभु में हुआ।…
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मंत्र साधना करते समय सावधानियां
मंत्र साधना करते समय सावधानियां ========================= मंत्रों की शक्ति असीम है। किन्तु…
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