Author: Alaukik Shaktiyan
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -१२ ]
योग में ध्यान का महत्व ================= अग्नि की तरह है ध्यान। बुराइयां उसमें जलकर…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -११ ]
ध्यान की अवस्था में टेलिपैथी ===================== जब ध्यान की साधना अच्छे से हो जाए…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -१० ]
ध्यान से एक से अधिक शरीरों का अनुभव ============================= ध्यान करना अद्भुत है। हमारे…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -९ ]
कैसे करें ध्यान ========== कैसे करें ध्यान? यह महत्वपूर्ण सवाल अक्सर पूछा जाता है।…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -८ ]
कैसे करें ध्यान साधना ================= ध्यान का सीधा–सीधा संबंध मन से है। मनुष्य के…
BY
-
ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ
कैसे करें ध्यान साधना ================= ध्यान का सीधा–सीधा संबंध मन से है। मनुष्य के…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -७ ]
क्या अनुभव हो सकता है ध्यान में [भाग–४ ]::ईश्वर के सगुण रूप का दर्शन …
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -६ ]
क्या अनुभव हो सकता है ध्यान में [भाग– ३] =========================== साधकों को ध्यान के…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -५ ]
क्या अनुभव हो सकता है ध्यान में [भाग -२] ============================== साधकों को ध्यान के…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -४ ]
क्या अनुभव हो सकता है ध्यान में [भाग -१ ] ============================ ध्यान ,साधकों के बीच…
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -३ ]
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ …
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -२ ]
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ …
BY
-
ध्यान :: ध्यान के अनुभव :: ध्यान की प्रक्रिया और ध्यान के लाभ = [[ भाग -१ ]
क्या हैं ध्यान ,धारणा और समाधि —————————————– ध्यान ,साधकों के बीच एक जाना -पहचाना…
BY
-
नया मकान तो नहीं आपकी बर्बादी का कारण ?
नया स्थान /मकान बर्बाद कर सकता है आपका जीवन ================================== यह…
BY
-
नेगेटिविटी निवारक उपाय
कैसे हटाये भूत प्रेत /नकारात्मक उर्जा घर-परिवार-व्यक्ति पर से =================================================== …
BY
-
नकारात्मक शक्ति [Negative Energy]
नकारात्मक ऊर्जा और उसका प्रभाव ======================== नकारात्मक…
BY
-
आप किये कराये से पीड़ित तो नहीं ?
कष्टकारक शक्तियों से प्रभावित तो नहीं हैं आप ====================================== प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा या शक्ति हमारे लिए लाभदायक और नकारात्मक उर्जा याशक्तिया नुक्सान करने वाली या परेशानी उत्पन्न करने वाली होती है ,,,यह समस्त प्रकृतिदो प्रकार की शक्तियों या उर्जाओं से बनता है ,धनात्मक और रिनात्मक ,सूर्य और अपनीऊर्जा से प्रकाशित ग्रह नक्षत्रों से उत्पन्न होने वाली या प्राप्त होने वाली ऊर्जा धनात्मकमानी जाती है ,जबकि पृथ्वी और ग्रहों से उत्पन्न ऊर्जा या शक्ति प्रकृति के परिप्रेक्ष्य मेंऋणात्मक होती है ,,यह दोनों ही उर्जाये हमारे लिए सकारात्मक ही होती हैं ,इन दोनों केसंतुलन और प्राप्ति से ही समस्त प्राणी और जीव वनस्पतियों की उत्पत्ति और स्थितिहोती है ,,,इन प्राकृतिक शक्तियों के अतिरिक्त दो अन्य पारलौकिक शक्तिया व्यक्तियों कोप्रभावित करती है ,सकारात्मक और नकारात्मक ,,सकारात्मक वह है जिनकी शक्ति आपकेलिए लाभदायक है जैसे आपके ईष्ट ,आपके कुल देवता ,महाविद्यायें,देवीदेवता आदि औरनकारात्मक वह है जो आपके लिए समस्या ही उत्पन्न करते है जैसे भूत–प्रेत–पिशाच–ब्रह्मराक्षस–जिन्न–शाकिनी–डाकिनी आदि , आज के समय में नकारात्मक ऊर्जा शक्तियों का प्रभाव सामान्यतया घरों परिवारों पर बहुतदिखने लगा है ,जबकि उन्हें पता ही नहीं होता की वे इनसे प्रभावित है ,उनके द्वारा बतायेजाने वालो लक्षणों से प्रथम दृष्टया अकसर इनकी समस्या घरों में मिलती है ,इनके कारणवास्तु दोष ,घरों में सूर्य के प्रकाश की कमी ,गलत जगह गलत हिस्सों का बना होना ,पित्रदोष ,कुल देवता का दोष ,ईष्ट प्रबलता की कमी ,रहनसहन की स्थिति ,विजातीयता,धार्मिक श्रद्धा की कमी ,खुद की गलतियाँ ,प्रतिद्वंदिता ,अभिचार आदि हो सकते हैं ,यदि घर से बाहर से घर पहुचने पर सर भारी हो जाए ,घर में अशांति का वातावरण हो ,कलहहोता हो,पति–पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो ,पूजापाठ में मन न लगे ,पूजा पाठसे सदैव मन भागे ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो,लगे कोई आसपास है ,जम्हाई अधिकआये ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जाएँ ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओंमें अवरोध उत्पन्न हो ,बीमारियाँ अधिक होती हों ,आयव्यय का संतुलन बिगड़ा हो,आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक होती हों ,रोग हो किन्तु कारण पता न चले ,सदस्यों मेंमतभेद रहते हों ,मन हमेशा अशांत रहता हो ,खुशहाली न दिखे ,प्रगति रुकी लगे अथवाअवनति होने लगे ,संताने विरुद्ध जाने लगें ,संतान बिगड़ने लगे ,उनके भविष्य असुरक्षितहोने लगे ,संतान हीनता की स्थिति हो ,अधिक त्वचा रोग आदि हों ,अपने ही घर में भय लगे,लगे कोई और है आसपास ,अपशकुन हो ,अनावश्यक आग आदि लगे ,मांगलिक कार्यों मेंअवरोध उत्पन्न हो तो समझना चाहिए की घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश है, इस स्थितिमें इनका पता लगाने का प्रयास करके इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए | जब आपके कुल देवता देवी को ठीक से पूजा न मिले तो वे नाराज हो सकते हैं अथवानिर्लिप्त हो सकते हैं ,कमजोर भी हो सकते हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वालीमुख्य शक्ति हट जाती है और वह परिवार पर प्रभावी हो सकती है,कभी कभी कुलदेवता कीनाराजगी या निर्लिप्तता से या नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल होने से वह कुलदेवता याईष्ट को दी जाने वाली पूजा खुद लेने लगती है जिससे उसकी शक्ति बढने लगती है औरकुलदेवतादेवी कमजोर या रुष्ट होते जाते हैं और ईष्ट को भी पूजा नहीं मिलती है ,आपकेईष्ट कमजोर हों या कोई ईष्ट ही न हों या आप पूजा पाठ ठीक से न करते हों तो भीनकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर में हो सकता है ,,किसी से दुश्मनी हो तो वह भीआभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है ,,आपके घर मेंपित्र दोष है तो पितरों के साथ अन्य शक्तियां भी जुड़ जाती हैं जिन्हें आपके परिवार से कोईलगाव नहीं होता है ,पित्र भले नुक्सान कभी कभी न करें किन्तु साथ जुडी…
BY
-
प्रेतों -भूतों से रक्षा के लिए शक्तिशाली कवच
कवच -ताबीज ========== भूत बाधा /अभिचार नाशक कवच [केवल स्त्रियों के लिए ] =================================सामान्य…
BY
-
अदृश्य शक्ति का वास घर में तो नहीं ?
कोई और भी है आपके घर /कमरे में ======================= क्या…
BY
-
भूत -प्रेत निवारण और तंत्र प्रयोग
तांत्रिक प्रयोग —————- यहां कुछ प्रमुख शाबर मंत्रों का विवरणप्रस्तुत है। ये मंत्र सहज और सरल हैं,जिनके जप अनुष्ठान से उक्त बाधाओंतथा जादू–टोनों के प्रभाव से बचाव होसकता है। १. निम्नलिखित मंत्र को सिद्ध करने के लिए उसका २१ दिनों तक एक माला जप नियमितरूप से करें। हनुमान मंदिर में अगरबत्ती जलाएं। २१ वें दिन मंदिर में एक नारियल औरलाल वस्त्र की ध्वजा चढ़ाएं। यह मंत्र भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी नजर दोष, जादू–टोनेआदि से बचाव एवं शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है। मंत्र : ॐ हनुमान पहलवान, बरस–बारह का जवान, हाथ में लड्डू, मुंह में पान। खेल–खेलकर लंका के चौगान। अंजनी का पूत, राम का दूत। छिण में कीलौं, नौ खंड का भूत। जाग–जाग हनुमान हुङ्काला, ताती लोहा लङ्काला। शीश जटा डग डेंरू उमर गाजे, वृज की कोटडीवृज का ताला। आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चम्पे न सीव। अजरा, झरे, भरमा भरे।ईंघट पिंड की रक्षा, राजा रामचंद्र जी, लक्ष्मण, कुंवर हनुमान करें। २. किसी बुरी आत्मा के प्रभाव अथवा किसी ग्रह के अशुभ प्रभाव के फलस्वरूप संतान सुखमें बाधा से मुक्ति हेतु श्री बटुक का उतारा करना चाहिए,,यह क्रिया निम्नलिखित विधि से रविवार, सोमवार, मंगलवार तीन दिन लगातार करें।विधि : उतारे के स्थान पर एक पात्र में सरसों के तेल में बने उड़द के ११ बड़े, उड़द की दालभरी ११ कचौड़ियां, ७ प्रकार की मिठाइयां, लाल फूल, सिंदूर, ४ बत्तियों का दीपक, 1 नींबूऔर 1 कुल्हड जल रखें। सिंदूर को चार बत्तियों वाले दीपक के तेल में डालें। फिर फूल,कचौड़ी, बड़े, मिठाइयां सभी सामग्री एक पत्तल पर रखें तथा मन ही मन यह कहें कि ”यहभोग हम श्री बटुक भैरव जी को दे रहे हैं, वे अपने भूत– प्रेतादिकों को खिला दें और संकटग्रस्त व्यक्ति के ऊपर जो बुरी आत्मा या ग्रहों की कुदृष्टि है, उसका शमन कर दें।” समस्तसामग्री को पीड़ित व्यक्ति के सिर के ऊपर ७ बार उतारा करके किसी चौराहे पर रखवा दें।सामग्री रखवाकर लौट आएं। ध्यान रहे, लौटते समय पीछे न देखें। उतारा परिवार के सदस्यकरें। यह क्रिया यदि अपने लिए करनी हो, तो स्वयं करें। ३. कृत्या निवारण के लिए एक नींबू को चार टुकड़ों में चीरें। चारों टुकड़ों पर ४–४ बारनिम्नलिखित मंत्र पढ़कर उन्हें चारों कोनों में फेंक दें।मंत्र : आई की, माई की, आकाश की, परेवा पाताल की। परेवा तेरे पग कुनकुन। सेवा समसेरजादू गीर समसेर की भेजी। ताके पद को बढ़ कर, कुरु–कुरु स्वाहा। ४. राई, लाल चंदन, राल, जटामंसी, कपूर, खांड, गुग्गुल और सफेद चंदन का चूराक्रमानुसार दो गुना लें और सबको मिलाकर अच्छी तरह कूट लें। फिर उस मिश्रण में इतनागोघृत मिलाएं कि पूरी सामग्री अच्छी तरह मिश्रित हो जाए। इस सामग्री से प्रेत बाधा सेग्रस्त घर में धूनी दें, प्रेत बाधा, क्लेशादि दूर होंगे और परिवार में शांति और सुख कावातावरण उत्पन्न होगा। व्यापार स्थल पर यह सामग्री धूनी के रूप में प्रयोग करें, व्यापारमें उन्नति होगी। ५. भूत छुड़ाने का मंत्र : भूत छुड़ाने के भी अनेकानेक शाबर मंत्र हैं, जिनमें एक इस प्रकारहै।तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार(नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या–यक्षिणी, दैत्या–दैत्यानी, भूता–भूतिनी, दानव–दानिवी, नीशा चौरा शुचि–मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइआमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा। सिद्धि गुरुरचरण राडिर कालिकार आज्ञा।विधि : ऊपर वर्णित मंत्र को पहले किसी सिद्ध मुहूर्त में १०,००० बार जप कर सिद्ध कर लें।फिर सरसों तेल को २१ बार अभिमंत्रित कर भूत बाधाग्रस्त व्यक्ति पर छिड़कें, तो भूत उतरजाता है।………………………………………………हर-हर महादेव …
BY