Category: Nidan aur Upachar
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सूर्य अरिष्ट शांति के उपाय
सूर्य ग्रह की अशुभता और निराकरण ========================== सूर्य सिंह राशि का स्वामी है ,यह…
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विवाह बाधा निवारण के उपाय
::::::::::::::::::::: विवाह बाधा निवारक तंत्र और ज्योतिषीय उपाय ::::::::::::::::::::: .ज्योतिषीय उपाय ============= [१] पीला…
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डिप्रेसन [Depression]/अवसाद की समग्र चिकित्सा और उपाय
डिप्रेसन [Depression]/अवसाद की समग्र चिकित्सा और उपाय ========================================= …
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डिप्रेसन [Depression] /अवसाद और ज्योतिषीय /तांत्रिक उपचार
डिप्रेसन [Depression] /अवसाद और ज्योतिषीय /तांत्रिक उपचार =========================================== डिप्रेसन अथवा…
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डिप्रेसन /अवसाद से बचाव और चिकित्सा
डिप्रेसन [Depression]/अवसाद से बचाव और चिकित्सा ===================================== …
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डिप्रेशन [Depression] /अवसाद के लक्षण
डिप्रेशन [Depression] /अवसाद के लक्षण ============================= अवसाद…
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डिप्रेशन [Depression] के प्रकार
डिप्रेशन [Depression] के प्रकार ======================= डिप्रेसन /अवसाद अथवा मानसिक दबाव कई तरह का होता…
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What is Depression ?
अवसाद [Depression] /डिप्रेसन क्या है =========================== अवसाद या डिप्रेशन का तात्पर्य मनोविज्ञान…
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आप किये कराये से पीड़ित तो नहीं ?
कष्टकारक शक्तियों से प्रभावित तो नहीं हैं आप ====================================== प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा या शक्ति हमारे लिए लाभदायक और नकारात्मक उर्जा याशक्तिया नुक्सान करने वाली या परेशानी उत्पन्न करने वाली होती है ,,,यह समस्त प्रकृतिदो प्रकार की शक्तियों या उर्जाओं से बनता है ,धनात्मक और रिनात्मक ,सूर्य और अपनीऊर्जा से प्रकाशित ग्रह नक्षत्रों से उत्पन्न होने वाली या प्राप्त होने वाली ऊर्जा धनात्मकमानी जाती है ,जबकि पृथ्वी और ग्रहों से उत्पन्न ऊर्जा या शक्ति प्रकृति के परिप्रेक्ष्य मेंऋणात्मक होती है ,,यह दोनों ही उर्जाये हमारे लिए सकारात्मक ही होती हैं ,इन दोनों केसंतुलन और प्राप्ति से ही समस्त प्राणी और जीव वनस्पतियों की उत्पत्ति और स्थितिहोती है ,,,इन प्राकृतिक शक्तियों के अतिरिक्त दो अन्य पारलौकिक शक्तिया व्यक्तियों कोप्रभावित करती है ,सकारात्मक और नकारात्मक ,,सकारात्मक वह है जिनकी शक्ति आपकेलिए लाभदायक है जैसे आपके ईष्ट ,आपके कुल देवता ,महाविद्यायें,देवीदेवता आदि औरनकारात्मक वह है जो आपके लिए समस्या ही उत्पन्न करते है जैसे भूत–प्रेत–पिशाच–ब्रह्मराक्षस–जिन्न–शाकिनी–डाकिनी आदि , आज के समय में नकारात्मक ऊर्जा शक्तियों का प्रभाव सामान्यतया घरों परिवारों पर बहुतदिखने लगा है ,जबकि उन्हें पता ही नहीं होता की वे इनसे प्रभावित है ,उनके द्वारा बतायेजाने वालो लक्षणों से प्रथम दृष्टया अकसर इनकी समस्या घरों में मिलती है ,इनके कारणवास्तु दोष ,घरों में सूर्य के प्रकाश की कमी ,गलत जगह गलत हिस्सों का बना होना ,पित्रदोष ,कुल देवता का दोष ,ईष्ट प्रबलता की कमी ,रहनसहन की स्थिति ,विजातीयता,धार्मिक श्रद्धा की कमी ,खुद की गलतियाँ ,प्रतिद्वंदिता ,अभिचार आदि हो सकते हैं ,यदि घर से बाहर से घर पहुचने पर सर भारी हो जाए ,घर में अशांति का वातावरण हो ,कलहहोता हो,पति–पत्नी में अनावश्यक अत्यधिक कलह हो ,पूजापाठ में मन न लगे ,पूजा पाठसे सदैव मन भागे ,पूजा पाठ करते समय सर भारी हो,लगे कोई आसपास है ,जम्हाई अधिकआये ,पूजा पाठ करने से दुर्घटनाएं या परेशानियां बढ़ जाएँ ,पूजा पाठ आदि धार्मिक क्रियाओंमें अवरोध उत्पन्न हो ,बीमारियाँ अधिक होती हों ,आयव्यय का संतुलन बिगड़ा हो,आकस्मिक दुर्घटनाएं अधिक होती हों ,रोग हो किन्तु कारण पता न चले ,सदस्यों मेंमतभेद रहते हों ,मन हमेशा अशांत रहता हो ,खुशहाली न दिखे ,प्रगति रुकी लगे अथवाअवनति होने लगे ,संताने विरुद्ध जाने लगें ,संतान बिगड़ने लगे ,उनके भविष्य असुरक्षितहोने लगे ,संतान हीनता की स्थिति हो ,अधिक त्वचा रोग आदि हों ,अपने ही घर में भय लगे,लगे कोई और है आसपास ,अपशकुन हो ,अनावश्यक आग आदि लगे ,मांगलिक कार्यों मेंअवरोध उत्पन्न हो तो समझना चाहिए की घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश है, इस स्थितिमें इनका पता लगाने का प्रयास करके इन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए | जब आपके कुल देवता देवी को ठीक से पूजा न मिले तो वे नाराज हो सकते हैं अथवानिर्लिप्त हो सकते हैं ,कमजोर भी हो सकते हैं ,ऐसे में नकारात्मक ऊर्जा को रोकने वालीमुख्य शक्ति हट जाती है और वह परिवार पर प्रभावी हो सकती है,कभी कभी कुलदेवता कीनाराजगी या निर्लिप्तता से या नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रबल होने से वह कुलदेवता याईष्ट को दी जाने वाली पूजा खुद लेने लगती है जिससे उसकी शक्ति बढने लगती है औरकुलदेवतादेवी कमजोर या रुष्ट होते जाते हैं और ईष्ट को भी पूजा नहीं मिलती है ,आपकेईष्ट कमजोर हों या कोई ईष्ट ही न हों या आप पूजा पाठ ठीक से न करते हों तो भीनकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घर में हो सकता है ,,किसी से दुश्मनी हो तो वह भीआभिचारिक क्रिया करके किसी नकारात्मक ऊर्जा को आप पर भेज सकता है ,,आपके घर मेंपित्र दोष है तो पितरों के साथ अन्य शक्तियां भी जुड़ जाती हैं जिन्हें आपके परिवार से कोईलगाव नहीं होता है ,पित्र भले नुक्सान कभी कभी न करें किन्तु साथ जुडी…
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अदृश्य शक्ति का वास घर में तो नहीं ?
कोई और भी है आपके घर /कमरे में ======================= क्या…
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भूत -प्रेत निवारण और तंत्र प्रयोग
तांत्रिक प्रयोग —————- यहां कुछ प्रमुख शाबर मंत्रों का विवरणप्रस्तुत है। ये मंत्र सहज और सरल हैं,जिनके जप अनुष्ठान से उक्त बाधाओंतथा जादू–टोनों के प्रभाव से बचाव होसकता है। १. निम्नलिखित मंत्र को सिद्ध करने के लिए उसका २१ दिनों तक एक माला जप नियमितरूप से करें। हनुमान मंदिर में अगरबत्ती जलाएं। २१ वें दिन मंदिर में एक नारियल औरलाल वस्त्र की ध्वजा चढ़ाएं। यह मंत्र भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी नजर दोष, जादू–टोनेआदि से बचाव एवं शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है। मंत्र : ॐ हनुमान पहलवान, बरस–बारह का जवान, हाथ में लड्डू, मुंह में पान। खेल–खेलकर लंका के चौगान। अंजनी का पूत, राम का दूत। छिण में कीलौं, नौ खंड का भूत। जाग–जाग हनुमान हुङ्काला, ताती लोहा लङ्काला। शीश जटा डग डेंरू उमर गाजे, वृज की कोटडीवृज का ताला। आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चम्पे न सीव। अजरा, झरे, भरमा भरे।ईंघट पिंड की रक्षा, राजा रामचंद्र जी, लक्ष्मण, कुंवर हनुमान करें। २. किसी बुरी आत्मा के प्रभाव अथवा किसी ग्रह के अशुभ प्रभाव के फलस्वरूप संतान सुखमें बाधा से मुक्ति हेतु श्री बटुक का उतारा करना चाहिए,,यह क्रिया निम्नलिखित विधि से रविवार, सोमवार, मंगलवार तीन दिन लगातार करें।विधि : उतारे के स्थान पर एक पात्र में सरसों के तेल में बने उड़द के ११ बड़े, उड़द की दालभरी ११ कचौड़ियां, ७ प्रकार की मिठाइयां, लाल फूल, सिंदूर, ४ बत्तियों का दीपक, 1 नींबूऔर 1 कुल्हड जल रखें। सिंदूर को चार बत्तियों वाले दीपक के तेल में डालें। फिर फूल,कचौड़ी, बड़े, मिठाइयां सभी सामग्री एक पत्तल पर रखें तथा मन ही मन यह कहें कि ”यहभोग हम श्री बटुक भैरव जी को दे रहे हैं, वे अपने भूत– प्रेतादिकों को खिला दें और संकटग्रस्त व्यक्ति के ऊपर जो बुरी आत्मा या ग्रहों की कुदृष्टि है, उसका शमन कर दें।” समस्तसामग्री को पीड़ित व्यक्ति के सिर के ऊपर ७ बार उतारा करके किसी चौराहे पर रखवा दें।सामग्री रखवाकर लौट आएं। ध्यान रहे, लौटते समय पीछे न देखें। उतारा परिवार के सदस्यकरें। यह क्रिया यदि अपने लिए करनी हो, तो स्वयं करें। ३. कृत्या निवारण के लिए एक नींबू को चार टुकड़ों में चीरें। चारों टुकड़ों पर ४–४ बारनिम्नलिखित मंत्र पढ़कर उन्हें चारों कोनों में फेंक दें।मंत्र : आई की, माई की, आकाश की, परेवा पाताल की। परेवा तेरे पग कुनकुन। सेवा समसेरजादू गीर समसेर की भेजी। ताके पद को बढ़ कर, कुरु–कुरु स्वाहा। ४. राई, लाल चंदन, राल, जटामंसी, कपूर, खांड, गुग्गुल और सफेद चंदन का चूराक्रमानुसार दो गुना लें और सबको मिलाकर अच्छी तरह कूट लें। फिर उस मिश्रण में इतनागोघृत मिलाएं कि पूरी सामग्री अच्छी तरह मिश्रित हो जाए। इस सामग्री से प्रेत बाधा सेग्रस्त घर में धूनी दें, प्रेत बाधा, क्लेशादि दूर होंगे और परिवार में शांति और सुख कावातावरण उत्पन्न होगा। व्यापार स्थल पर यह सामग्री धूनी के रूप में प्रयोग करें, व्यापारमें उन्नति होगी। ५. भूत छुड़ाने का मंत्र : भूत छुड़ाने के भी अनेकानेक शाबर मंत्र हैं, जिनमें एक इस प्रकारहै।तेल नीर, तेल पसार चौरासी सहस्र डाकिनीर छेल, एते लरेभार मुइ तेल पडियादेय अमुकार(नाम) अंगे अमुकार (नाम) भार आडदन शूले यक्ष्या–यक्षिणी, दैत्या–दैत्यानी, भूता–भूतिनी, दानव–दानिवी, नीशा चौरा शुचि–मुखा गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइआमि पिशाचि अमुकार (नाम) अंगेया, काल जटार माथा खा ह्रीं फट स्वाहा। सिद्धि गुरुरचरण राडिर कालिकार आज्ञा।विधि : ऊपर वर्णित मंत्र को पहले किसी सिद्ध मुहूर्त में १०,००० बार जप कर सिद्ध कर लें।फिर सरसों तेल को २१ बार अभिमंत्रित कर भूत बाधाग्रस्त व्यक्ति पर छिड़कें, तो भूत उतरजाता है।………………………………………………हर-हर महादेव …
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प्रेत बाधा निवारण के कुछ मंत्र प्रयोग
मान्त्रिक प्रयोग —————– भूत–प्रेत बाधाओं, जादू–टोनों आदि के प्रभाव से भले–चंगे लोगों का जीवन भी दुखमय होजाता है। ज्योतिष तथा शाबर ग्रंथों में इन बाधाओं से मुक्ति के अनेकानेक उपाय उपायबताए गए हैं।इस प्रकार की बाधा निवारण करने से पूर्व स्वयं की रक्षा भी आवश्यकहें.इसलिए इन मन्त्रों द्वारा अपनी तथा अपने आसन की सुरक्षा कर व्यवस्थित हो जाएँ…1. जब भी हम पूजन आदि धार्मिक कार्य करते हैं वहां आसुरी शक्तियां अवश्य अपना प्रभावदिखाने का प्रयास करती हैं, उन आसुरी शक्तियों को दूर भगाने के लिए हम मंत्रों का प्रयोगकर सकते हैं। इसे रक्षा विधान कहते हैं। नीचे रक्षा विधान के बारे में संक्षिप्त में लिखा गयाहै। रक्षा विधान का प्रयोग करने से बुरी शक्तियां धार्मिक कार्य में बाधा नहीं पहुंचाती तथादूर से ही निकल जाती हैं। रक्षा विधान– रक्षा विधान का अर्थ है जहाँ हम पूजा कर रहे है वहाँ यदि कोई आसुरीशक्तियाँ, मानसिक विकार आदि हो तो चले जाएं, जिससे पूजा में कोई बाधा उपस्थित नहो। बाएं हाथ में पीली सरसों अथवा चावल लेकर दाहिने हाथ से ढंक दें तथा निम्न मंत्रउच्चारण के पश्चात सभी दिशाओं में उछाल दें। मंत्र—–ओम अपसर्पन्तु ते भूता: ये भूता:भूमि संस्थिता:।ये भूता: बिघ्नकर्तारस्तेनश्यन्तु शिवाज्ञया॥अपक्रामन्तु भूतानि पिशाचा: सर्वतो दिशम।सर्वेषामविरोधेन पूजा कर्मसमारभ्भे॥ 2. देह रक्षा मंत्र:—- ऊँ नमः वज्र का कोठा, जिसमें पिंड हमारा बैठा। ईश्वर कुंजी ब्रह्मा का ताला, मेरे आठों धामका यती हनुमन्त रखवाला।इस मंत्र को किसी भी ग्रहण काल में पूरे समय तक लगातार जप करके सिद्ध कर लें।. किसीदुष्ट व्यक्ति से अहित का डर हो, ग्यारह बार मंत्र पढ़कर शरीर पर फूंक मारे तो आपकाशरीर दुश्मन के आक्रमण से हर प्रकार सुरक्षित रहेगा। 3. उल्टी खोपड़ी मरघटिया मसान बांध दें, बाबा भैरो की आन।इस मंत्र को श्मशान में भैरोजी की पूजा, बलि का भोग देकर सवा लाख मंत्र जपे तथाआवश्यकता के समय चाकू से अपने चारों तरफ घेरा खींचे तो अचूक चैकी बनती है।4. इससे किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति साधना में विघ्न नहीं डाल सकती, होली,दीपावली या ग्रहण काल में इस मंत्र को सिद्ध कर लें 11 माला जपकर। ऊँ नमः श्मशानवासिने भूतादिनां पलायन कुरू–कुरू स्वाहा।इस मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके लहसुन, हींग को पीसकर इसके अर्क को बाधाग्रस्तरोगी के नाक व आंख में लगायें, भूत तुरंत शरीर छोड़कर चला जाएगा।5. बहेड़े के पत्ते या जड़ को घर लाकर धूप, दीप, नैवेद्य और पंचोपचार पूजा के बाद 1माला यानि 108 बार इस मंत्र से 21 दिन अभिमंत्रित करने से सिद्ध हो जाएगा।ऊँ नमः सर्वभूताधिपतये ग्रसग्रस शोषय भैरवी चाजायति स्वाहा।’ इस पत्ते को जहां स्थापित किया जाता है, वहां किसी भी प्रकार से भूत प्रेतबाधा व जादू टोनेका प्रभाव नहीं पड़ता तथा सिद्ध जड़ को बच्चे या बड़े के गले में ताबीज बनाकर पहनाया जासकता है।6. प्रेतबाधा निवारण भूत, प्रेत, डाकिनी, शाकिनी तथा पिशाच, मशान आदि तामसीशक्तियों से रक्षा के लिए यह साधना सर्वोत्तम तथा सरल उपाय वाली है। .इसके लिएसाधक को चाहिए कि किसी शुभ घड़ी में रविपुष्य योग अथवा शनिवार को) उल्लू लेकर,उसके दाएं डैने के कुछ पंख निकाल लें तथा उल्लू को उड़ा दें। इसके बाद उस पंख कोगंगाजल से धोकर स्नानादि करके पूर्वाभिमुख होकर लाल कंबल के आसन पर बैठकर2100 बार मंत्र पढकर प्रत्येक पंख पर फूंक मारे। इस प्रकार से अभिमंत्रित करके, जलाकरउन पंखों की राख बना लें ।मंत्र: ऊँ नमः रूद्राय, नमः कालिकायै, नमः चंचलायै नमः कामाक्ष्यै नमः पक्षिराजाय, नमःलक्ष्मीवाहनाय, भूत–प्रेतादीनां निवारणं कुरू–कुरू ठं ठं ठं स्वाहा।इस मंत्र से सिद्ध भभूति को कांच के चैड़े पात्र में सुरक्षित रख लें। जब भी किसी स्त्री या पुरुषको ऊपरी बाधा हो, इसे निकालकर चुटकी भर विभूति से 108 बार मंत्र पढ़कर झाड़ देने सेजो अला बला हो, वह भाग जाती है।अधिक शक्तिशाली आत्मा हो तो इसे ताबीज में रखकर पुरुष की दाहिनी भुजा पर, स्त्री कीबाई भुजा पर बांधने से दुबारा किसी आत्मा या दुरात्मा का प्रकोप नहीं होता।…………………………………………हर -हर महादेव विशेष –…
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उपरी बाधा ,हवा ,भूत दूर करने के टोटके
भूत -प्रेत -ऊपरी बाधा या हवा दूर करने का प्रयोग और टोटके ========================================== १. भूत–प्रेत, ऊपरी बाधा या हवा। यह शब्द अक्सर हमारे सुनने में आते हैं। ऐसा मानाजाता है जिन लोगों पर इनका असर होता है उनमें कुछ शारीरिक व मानसिक परिवर्तन होजाता है। उत्तेजना में आकर ऐसे लोग किसी पर भी वार कर सकते हैं। भूत बाधा से पीडि़तव्यक्ति को नीचे लिखे टोटके से इस परेशानी से मुक्ति मिल सकती है। सामग्री——— लौंग का जोड़ा, फूल का जोड़ा, इलाइची, पान और पेड़ा। टोटका-एक दोना लेकर उसमें सबसे पहले पान रखें,, उसके ऊपर फूल व अन्य वस्तुएं रखकरभूतबाधा से पीडि़त व्यक्ति के नाम राशि के ग्रह का मंत्र 108 बार पढ़ें,, यह कार्य पवित्रहोकर व दोना सामने रखकर करें,,इसके पश्चात सात बार मंत्र पढ़ते हुए उस दोने को रोगीके सिर से पांव तक उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से प्रेत बाधा शांतहो जाती है ( यह टोटका अनटोका किया जाना चाहिए।२.प्रेत बाधा दूर करने के लिए पुष्य नक्षत्र में चिड़चिटे अथवा धतूरे का पौधा जड़सहितउखाड़ कर उसे धरती में ऐसा दबाएं कि जड़ वाला भाग ऊपर रहे और पूरा पौधा धरती मेंसमा जाएं। इस उपाय से घर में प्रेतबाधा नहीं रहती और व्यक्ति सुख–शांति का अनुभवकरता है।३.भूत, पिशाच जहाँ रहते हैं, वहां गाय खड़ी कर दो, गाय की सुगंध से भूत अपने आपभागेंगे l किसी के घर में भूत, प्रेत का वास हो, तो गाय का गोबर अथवा गाय का झरणछिटका करो l गाय का कंडा जलाओ, उस पे थोड़ा गाय का घी डाल दो, अपने आप भागेंगे, भागना नहीं पड़ेगा l अगर किसी व्यक्ति के अंदर भूत घुसे हैं तो उसे उसी धूप वाले कमरे मेंबिठाओ, भाग जायेंगे l ४.यदि बच्चा बाहर से खेलकर, पढ़कर, घूमकर आए और थका, घबराया या परेशान सालगे तो यह उसे नजर या हाय लगने की पहचान है, ऐसे में उसके सर से ७ लाल मिर्च औरएक चम्मच राई के दाने ७ बार घूमाकर उतारा कर लें और फिर आग में जला दें।५.यदि बेवजह डर लगता हो, डरावने सपने आते हों, तो हनुमान चालीसा और गजेंद्र मोक्षका पाठ करें और हनुमान मंदिर में हनुमान जी का श्रृंगार करें व चोला चढ़ाएं।६.व्यक्ति के बीमार होने की स्थिति में दवा काम नहीं कर रही हो, तो सिरहाने कुछ सिक्केरखे और सबेरे उन सिक्कों को श्मशान में डाल आए।७.व्यवसाय बाधित हो, वांछित उन्नति नहीं हो रही हो, तो ७ शनिवार को सिंदूर, चांदी कावर्क, मोतीचूर के पांच लड्डू, चमेली का तेल, मीठा पान, सूखा नारियलऔर लौंग हनुमानजी को अर्पित करें।८.किसी काम में मन न लगता हो, उचाट सा रहता हो, तो रविवार को प्रातः भैरव मंदिर मेंमदिरा अर्पित करें और खाली बोतल को सात बार अपने सरसे उतारकर पीपल के पेड़ केनीचे रख दें।…
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प्रेत -भूत ,किये -कराये से मुक्ति के उपाय
भूत–प्रेत ,वायव्य बाधा और तांत्रिक अभिचार से मुक्ति के उपाय ========================================== भूत–प्रेत-चुड़ैल जैसी…
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भूत -प्रेत ,तांत्रिक अभिचार से कैसे बचें ?
भूत -प्रेत ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार से बचाव के उपाय ============================================= भूत–प्रेत…
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भूत -प्रेत प्रकोप ::लक्षण ,बचाव और सावधानी
भूत–प्रेत और उपरी हवा ::लक्षण ,बचाव ============================== …
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व्यवसाय पर तंत्र होने पर करें यह उपाय
व्यवसाय पर तंत्र क्रिया होने पर —————————— १. यदि कोई शत्रु आपसी जलन या…
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टोटके और व्यापार -व्यवसाय
टोटके और व्यापार -व्यवसाय —————————– १. आठ गोमतीचक्र, आठ कौड़ी एंव आठ लाल गुंजा…
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व्यावसायिक अभिचार हटायें दिव्य गुटिका से
किया -कराया/अभिचार /नकारात्मक ऊर्जा /बंधन हटाती है दिव्य गुटिका ====================================== सामान्यतया शेयर ,सट्टा ,लाटरी…
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